नई दिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक ने 80 फीसद से कम लोन- टू- वैल्यू के लिए जोखिम का भार कम कर 35 फीसद कर दिया था। यह राहत शुरू में 31 मार्च 2022 तक दी गई थी। अप्रैल 2020 में मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान यह राहत मार्च 2023 तक के लिए बढ़ा दी गई थी। उस समय जोखिम भार निर्धारित करते समय कर्ज के आकार पर विचार नहीं किया गया था।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप 75 लाख से ऊपर के होम लोन (Home Loan) के साथ मकान लेने की सोच रहे हैं तो आपका बजट बिगड़ सकता है। 75 लाख रुपये से अधिक के कर्ज पर ब्याज दरें और ज्यादा महंगी होने वाली हैं। इसका कारण यह है कि ऐसे कर्ज पर जोखिम भार कोरोनाकाल से पूर्व के 50 फीसद के स्तर पर आ गया है।
अब 75 लाख रुपये से अधिक कर्ज के लिए लोन-टू-वैल्यू भी 75 फीसद हो गई है। कोरोना में इस शर्त से छूट दी गई थी। इसे सरल शब्दों में कहा जाए तो 75 लाख रुपये से अधिक घर का कर्ज लेने के लिए किसी ग्राहक को 25 फीसद रकम का अग्रिम भुगतान करना होगा। फिलहाल बैंकों ने इस आधार पर कर्ज की दरों में इजाफा नहीं किया है मगर सूत्रों के अनुसार वे जल्द ही हालात की समीक्षा कर इस बारे में कोई निर्णय लेंगे। सूत्रों ने कहा, कर्ज की रकम के आधार पर ब्याज में करीब पांच आधार अंक की बढ़ोतरी हो सकती है। राष्ट्रीय आवास बैंक के अनुसार वर्ष 2021-22 के दौरान बैंकों और आवास वित्त कंपनियों ने कुल जितने होम लोन आवंटित किए थे, उनमें 36.36 फीसद या 2.45 लाख करोड़ रुपये मूल्य के ऋण 50 लाख रुपये से अधिक के थे। इसी वर्ष के दौरान 25 लाख से 50 लाख रुपये के कर्ज कुल आवंटित कर्ज का 29.35 फीसद यानी 1.98 लाख करोड़ रुपये थे। ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी के कारण आवास ऋण पर ब्याज दर पिछले साल मई की 6.5 फीसद से बढ़कर अब 9 फीसद से अधिक हो गई है। करीब 40 फीसद खुदरा कर्ज रेपो दर से जुड़े हैं और शेष एमसीएलआर से जुड़े हैं।
लोन-टू-वैल्यू कैसे करता है काम
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का दिशा-निर्देश है कि 30 लाख या उससे कम के होम लोन में लोन-टू-वैल्यू अनुपात 90 फीसद तक जा सकता है। इसका मतलब साफ है कि खरीदार को संपत्ति के लिए 10 फीसद कीमत जेब से देनी होगी और बाकी कीमत कर्ज में मिल जाएगी। वहीं, 30 लाख से 75 लाख तक पर यह अनुपात 80 फीसद और 75 लाख रुपये से ज्यादा की राशि पर 75 फीसद एलटीवी अनुपात होता है। कर्जदाता होम लोन का अनुपात 75 से 90 फीसद तक रख सकता है। अगर उधार लेने वाला व्यक्ति भविष्य में लोन चुकाने की स्थिति में नहीं होता तो संस्थान इस अनुपात से अपना एनपीए बढ़ने से रोकते हैं।