मध्यप्रदेश

हाईकोर्ट का आदेश प्रदेश में लगे बाओबाव पेड़ की तस्वीरों के साथ कोर्ट में रिपोर्ट पेश करें बोर्ड

जबलपुर
मध्य प्रदेश जबलपुर हाईकोर्ट बेंच ने जैव विविधता बोर्ड को निर्देश दिया है कि प्रदेश में स्थित बाओबाब पेड़ों की तस्वीरों के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करें। कोर्ट मित्र अधिवक्ता की ओर से आवेदन पेश कर बताया गया कि केंद्रीय वन विभाग ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो का गठन किया है। सभी जांच एजेंसियां मोबाइल स्टैटिक डेटा का उपयोग कर सकती हैं, लेकिन वाइल्डलाइफ क्राइम ब्यूरो इसका उपयोग नहीं कर सकती। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विनय जैन की युगलपीठ ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए समय प्रदान किया है।

गौरतलब है कि धार जिले में बाओबाब पेड़ काटने, बेचने और परिवहन की अनुमति दिए जाने से संबंधित  प्रकाशित खबर पर हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया था। क्षेत्रीय नागरिक बाओबाब वृक्षों की कटाई का विरोध कर रहे हैं।

दअरसल, बाओबाब पेड़ को अफ्रीका में 'द वर्ल्ड ट्री' की उपाधि दी गई है। अफ्रीका के आर्थिक विकास में इस पेड़ का बहुत बड़ा महत्व है। हैदराबाद के एक व्यापारी ने अपने फार्म में इन पेड़ों की खेती कर आर्थिक लाभ के लिए उनकी कटाई कर उन्हें बेचने का कार्य शुरू किया है। एक पेड़ की कीमत 10 लाख रुपये से अधिक है, जिसके कारण अन्य लोग भी अपने खेतों में लगे पेड़ को काटकर बेचने लगे हैं।

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हाईकोर्ट ने संज्ञान याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद धार जिले में बाओबाब पेड़ों की कटाई, बिक्री और परिवहन पर रोक लगाते हुए मुख्य सचिव, वन विभाग के प्रमुख सचिव, आयुक्त और सीसीएफ इंदौर, कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया था कि बाओबाब वृक्षों की कटाई के मामले में प्रकरण दर्ज कर लिया गया है।

याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार ने यह भी बताया कि रोपे गए 20 बाओबाब पौधों में से 9 काट दिए गए हैं और 11 जीवित हैं। धार जिले में कुल 393 बाओबाब पेड़ हैं। कोर्ट मित्र अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो को स्टैटिक डेटा का उपयोग करने की अनुमति नहीं मिलने के संबंध में आवेदन पेश किया था। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किए।

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