मध्यप्रदेश

HC ने प्रतिबंधित सिरप का उत्पादन करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और पुलिस को दिए

जबलपुर

मानव जीवन के लिए हानिकारक कोरेक्स कफ सिरप पर प्रतिबंध के बावजूद सिरप का उत्पादन और खुले बाजार में बिक्री को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने प्रतिबंधित सिरप का उत्पादन करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और पुलिस को दिए हैं। युगलपीठ ने कार्रवाई के संबंध में एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश भी जारी किए हैं।

जबलपुर निवासी अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि सरकार ने जून 2023 में अधिसूचना जारी कर क्लोफेनिरामाइन और कोडीन युक्त कफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बावजूद भी ऐसे कफ सिरप का उत्पादन जारी है। याचिका में यह भी कहा गया कि ऐसे कफ सिरप का उपयोग नशे के लिए किया जाता है। देश और प्रदेश के कई स्थानों पर बड़ी संख्या में प्रतिबंधित सिरप बरामद किए गए हैं। अधिसूचना के अनुसार इस तरह की गतिविधियों पर ड्रग कंट्रोलर, ड्रग इंस्पेक्टर और नारकोटिक्स कंट्रोल को निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। संबंधित अधिकारियों द्वारा अपने दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं किए जाने के कारण प्रतिबंधित सिरप का उत्पादन जारी है।हाईकोर्ट ने सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डायरेक्टर जनरल, प्रदेश सरकार के खाद्य एवं औषधि विभाग और ड्रग कंट्रोलर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अंतरिम राहत के लिए आवेदन पेश किया गया, जिसमें कहा गया कि प्रतिबंधित सिरप बनाने वाली कंपनियों पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना का पालन शत-प्रतिशत सुनिश्चित किया जाए। आवेदन के साथ याचिकाकर्ता ने 30 से अधिक एफआईआर की जानकारी भी प्रस्तुत की, जिनमें प्रतिबंधित सिरप मिलने पर प्रकरण दर्ज किए गए थे। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त अंतरिम आदेश पारित किए। याचिका पर अगली सुनवाई 17 फरवरी को निर्धारित की गई है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा।

 

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