भोपाल
प्रदेश में कृषि निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु राज्य सरकार मंडी फीस की प्रतिपूर्ति प्रदाय करने की योजना में सरकार संशोधन करेगी। इसमें राज्य में उत्पादित गेहूं के स्थान पर राज्य में किसी भी मंडी क्षेत्र में निर्यात के उद्देश्य से खरीदे गए अनाज, भुगतान पत्र से 31 मार्च तक खरीदे गए अनाज और इसके बाद साठ दिन में दस्तावेजों सहित मंडी शुल्क की प्रतिपूर्ति के लिए किए गए आवेदनों पर छूट दी जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक में एक दर्जन प्रस्तावों पर विचार किया गया। इसमें मध्यप्रदेश में ट्रांसजेंडर को पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने पर चर्चा की गई। प्रदेश मे अभी तीस हजार ट्रांसजेंडर है। उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा। फिलहाल ओबीसी को चौदह प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। ट्रांसजेंडर को इसी में से आरक्षण मिलेगा।
23 करोड़ रुपए खर्च करेगी सरकार
प्रदेश में मोटे अनाज को बढ़ावा देने राज्य मिलेट मिशन लागू किया जाएगा। मिशन के अंतर्गत वर्ष 2024-25 तक किसानों को कोदो-कुटकी, ज्वार एवं रागी के उन्नत प्रमाणित बीज पर सहकारी एवं शासकीय संस्थाओं के माध्यम से अस्सी प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। प्रसंस्करण और विपणन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हितग्राहियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जाएंगे। प्रमुख शहरोें और पर्यटन स्थलों पर फूड फेस्टीवल का आयोजन भी किया जाएगा। मिशन के अंतर्गत संचालित होंने वाली गतिविधियों पर दो वर्ष में 23 करोड़ रुपए व्यय होंगे। इसके अलावा सरस्वती शिक्षा समिति मोतीनगर सागर को शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन हेतु 23 हजार 680 वर्गफीट भूमि का स्थाई पट्टा आवंटन भी सरकार करेगी।
गेहूं निर्यात के लिए मंडी शुल्क के प्रावधान में होगा संशोधन
गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मंडी शुल्क की प्रतिपूर्ति का प्रावधान किया गया था। अब इसमें संशोधन किया जा रहा है। पिछले साल प्रदेश से 21 लाख टन गेहूं का निर्यात हुआ था। इसमें से केवल पांच लाख 23 हजार टन के दावे को ही क्षतिपूर्ति के लिए मान्य किया गया था। जो बदलाव किया जा रहा है उसके तहत राज्य में उत्पादित गेहूं के स्थान पर राज्य में किसी भी मंडी क्षेत्र में निर्यात के उद्देश्य से खरीदा, भुगतान पत्र से खरीदी गई मात्रा में से 31 मार्च 2023 तक निर्यात और 31 मार्च से साठ दिन में अभिलेख सहित शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन करना शामिल है।