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ओडिशा में हादसे वाले रूट पर 51 घंटे बाद यातायात बहाल, पहली बार दौड़ी मालगाड़ी; रेल मंत्री ने जोड़े हाथ

ओडिशा  
ओडिशा में बालासोर जिले के बहनगा स्टेशन पर भीषण रेल दुर्घटना के 51 घंटे बाद आज रात डाउन लाइन पर यातायात बहाल हो गया। रात में करीब 10:40 बजे डाउन लाइन पर एक मालगाड़ी को धीमी गति से गुजारा गया। मालगाड़ी में कोयला लदा है और हल्दिया जा रही है। इस मौके पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अनिल कुमार लाहोटी और तमाम सीनियर अधिकारी स्टेशन के पास खड़े थे। रेल मंत्री ने लोको पायलट को और ट्रेन के अंत में गार्ड को हाथ हिला कर अभिवादन किया। इस मौके पर रेल मंत्री थोड़ा भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि दुर्घटना के लिए जो भी जिम्मेदार हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।

अप लाइन की मरम्मत का काम अभी जारी है। कल तक उसे भी यातायात के लिए खोल दिए जाने की संभावना है। अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट करके कहा बताया, 'क्षतिग्रस्त डाउन लाइन पूरी तरह ठीक हो गई है। खंड से पहली ट्रेन रवाना हुई।' गौरतलब है कि बालासोर में शुक्रवार शाम करीब 7 बजे कोरोमंडल एक्सप्रेस मुख्य लाइन के बजाय लूप लाइन में प्रवेश करने के बाद वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। इस हादसे की चपेट में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी आ गई थी। इस दुर्घटना में 275 लोगों की मौत हुई है।

कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन की रफ्तार तेज नहीं थी: रेलवे
रेलवे ने रविवार को कहा कि दुर्घटना की शिकार हुई कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन की रफ्तार निर्धारित गति से तेज नहीं थी और उसे 'लूप लाइन' में दाखिल होने के लिए 'ग्रीन सिग्नल' मिला था। रेलवे के इस बयान को ट्रेन चालक के लिए एक तरह से 'क्लीन चिट' के तौर पर देखा जा रहा है। रेलवे बोर्ड के दो प्रमुख अधिकारियों -सिग्नल संबंधी प्रधान कार्यकारी निदेशक संदीप माथुर और संचालन सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि दुर्घटना किस तरह हुई होगी। उन्होंने 'इंटरलॉकिंग सिस्टम' के कामकाज के बारे में भी बताया।

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सिन्हा ने कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस की दिशा, मार्ग और सिग्नल तय थे। उन्होंने कहा, 'ग्रीन सिग्नल का मतलब है कि चालक जानता है कि उसका आगे का रास्ता साफ है और वह निर्धारित अधिकतम गति से ट्रेन चला सकता है। इस खंड पर निर्धारित गति 130 किलोमीटर प्रति घंटा थी और वह 128 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से अपनी ट्रेन चला रहा था। हमने लोको लॉग से इसकी पुष्टि की है।' अधिकारियों ने कहा कि बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन 126 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी। सिन्हा ने कहा कि दोनों रेलगाड़ियों की रफ्तार निर्धारित गति से तेज होने का कोई सवाल ही नहीं है।

 

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