मध्यप्रदेश

गोबर खाद बेच प्रदेश की गौशाला बनेंगी ‘आत्मनिर्भर’

ग्वालियर

सरकार की फंडिंग के बाद भी मध्य प्रदेश में अधिकतर गौशालाओं की हालत कुछ खास अच्छी नहीं है, लेकिन अब जल्द ही इन्हीं गौशालाओं की सूरत बदलने के लिए इन्हें आत्मनिर्भर बनाने की बड़ी तैयारी की जा रही है। उद्यानिकी विभाग ने एक प्लानिंग तैयार की है। इस प्लानिंग के तहत प्रदेश की 21 हजार पंचायतों में सरकारी फंडिंग से स्थापित इन गौशालाओंं से उद्यानिकी विभाग गोबर खाद खरीदेगा। गोबर खाद का इस्तेमाल नर्सरी और सब्जी आदि की जैविक खेती में किया जाएगा।

जबकि प्रदेश की गौशालाओं को गोबर खाद विक्रय करने पर हर साल करोड़ो रूपए की आमदनी होगी।  ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर, इंदौर, रीवा, उज्जैन जैसे बड़े शहरों में अभी गोशालाओं पर प्रतिवर्ष 7 से 15 करोड़ रुपए तक खर्च हो रहा है। गोबर विक्रय सहित उद्यानिकी विभाग की इस प्लानिंग पर सरकारी मुहर लगने के बाद इसके अमल मेंं आने से हर गोशाला पर हो रहे खर्च में लगभग 5 करोड़ रुपए तक प्रति वर्ष बचत हो सकेगी। उद्यानिकी विभाग ने अपनी इस योजना को लेकर मुख्यमंत्री से भी चर्चा की है।

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गौशालाओं को करोड़ो रूपए की जरूरत
प्रदेश में करीब 7 लाख गोवंश संरक्षण के लिए वर्तमान में प्रतिवर्ष करोड़ो रूपए की जरूरत होती है। हांलाकि प्रदेश सरकार गोशालाओं को चारे के लिए प्रति गोवंश 20 रुपए देती है। इसके साथ ही स्थानीय निकायों द्वारा भी सीमित फंड उपलब्ध कराया जाता है। इसके बाद भी गायों की जरूरत पूरी न होने से लगभग 5 लाख गोवंश निराश्रित है।

प्रदेश की गौशालाओं को नर्सरी से जोड़ने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इस संबध जल्द ही बैठक होने जा रही है। प्रोजेक्ट के अमल में आने से हमारी गौशालाए आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
भारत सिंह कुशवाह, उद्यानिकी एंव खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री मप्र

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