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सरकारी अस्पताल में दलाली का खेल! MY के डॉक्टरों पर 10% कमीशन के लिए मरीज रेफर करने के गंभीर आरोप

इंदौर
शहर के शासकीय अस्पतालों से डॉक्टर मुनाफा कमाने के लालच में मरीजों को लामा कर निजी अस्पतालों में भेज रहे हैं। हाल ही में एमवाय अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के एक डॉक्टर द्वारा इंडेक्स अस्पताल में मरीज को लामा कर भेजने का मामला सामने आया है। मरीज ने खुद इसकी शिकायत की थी कि रातभर जमीन पर बिना इलाज के रखा और सुबह डॉक्टर ने निजी अस्पताल में जाने के लिए कहा। मामले में डॉक्टर का 15 दिन का वेतन काटने की कार्रवाई की गई है। एक मरीज को निजी अस्पताल में इलाज के लिए भेजने पर डॉक्टर को 10 प्रतिशत कमिशन मिलता है। यानी तीन लाख का इलाज यदि मरीज का निजी अस्पताल में हो रहा है तो डॉक्टर को इसके एवज में 30 हजार रूपये मिलते हैं। यह खेल आयुष्मान योजना के नाम पर तेजी से चल रहा है।
 
रोजाना 10 से अधिक मरीज जाते है निजी अस्पताल
एमवायएच अस्पताल में आने वाले मरीज को यह कहा जाता है कि निजी अस्पताल में बेहतर सुविधा के साथ निश्शुल्क उपचार मिल जाएगा। एमवाय अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, रोजाना 10 से अधिक मरीज अधूरे इलाज में लामा करवाकर निजी अस्पताल में चले जाते हैं। इनमें से कुछ अपनी मर्जी से जाते हैं, बाकि डॉक्टर कमिशन के चक्कर में पहुंचा देते हैं। मरीजों को ले जाने में एंबुलेंस गैंग भी सक्रिय, रोक लगाने पर प्रशासन फेल एमवाय अस्पताल में डॉक्टरों के अलावा मरीजों को ले जाने में एंबुलेंस गैंग भी सक्रिय है।
 
करीब एक वर्ष पहले मरीजों को एमवाय अस्पताल से निजी अस्पताल लेकर जाने पर एंबुलेंस गैंग का मुखिया दीपक वर्मा पकड़ाया था। इस दौरान जूनियर डॉक्टरों ने उसकी पिटाई कर दी थी। इसके बाद दीपक और असलम आदि को परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था। इसमें वार्ड बॉय और अन्य कर्मचारी भी शामिल थे।

कभी कार्रवाई करते हुए नजर नहीं आता
पूर्व संभागायुक्त ने इस दौरान अस्पताल में निजी एंबुलेंस वाहन को परिसर में पार्किंग करने पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन इन्हें रोकने पर प्रशासन फेल नजर आ रहा है। अभी एमवाय अस्पताल में तिरूपती बालाजी एंबुलेंस से राहुल और बहादुर, श्री बालाजी एंबुलेंस से दीपक, एकाक्ष सामाजिक संस्था से रामगोपाल श्रीवास्तव आदि सक्रिय है। लेकिन प्रशासन इनपर कभी कार्रवाई करते हुए नजर नहीं आता है।

निजी अस्पतालों के एजेंट घुमते हैं अस्पताल में
डॉक्टरों ने बताया कि आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाने वाले कई एजेंट घुमते हैं। पूर्व में भी इस तरह के लोगों को पकड़ा गया है। इन्हें मरीजों के हिसाब से निजी अस्पताल में कमिशन मिलता है। इसके लिए यह मरीजों को एमएलटी, एक्सरे सहित अन्य जांच होने के बाद निजी अस्पताल में आपरेशन के लिए लेकर चले जाते हैं। इसमें सबसे अधिक मरीज हड्डी रोग विभाग, न्यूरोसर्जरी, कैंसर, मेडिसिन विभाग आदि के होते हैं।

एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में लामा रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। हमने हाल ही में एक डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की है। लामा रोकने के लिए एक कमेटी भी बनाई जा रही है। जो लामा कर जाने वाले सभी मरीजों का रिव्यू करेगी। – डॉ. अरविंद घनघोरिया, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज

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