
लंदन, एपी। एक ऐसी टीम (इंग्लैंड) जो 55 साल तक बहुत लंबे इंतजार के बाद अब फाइनल खेलने का सुख पा रही है और पहले यूरो खिताब जीतने से एक दहलीज दूर है तो दूसरी तरफ एक ऐसी टीम (इटली) है जो 53 साल के बाद अपने दूसरे यूरो खिताब जीतने के लिए 33 मैचों से हारी नहीं है और अब फाइनल जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी। हम बात कर रहे हैं इंग्लैंड और इटली के बीच रविवार की रात को होने वाले यूरो कप के खिताबी मुकाबले की जहां दोनों टीमें वेंबले स्टेडियम में भिड़ेंगी।
फुटबाल जैसे खूबसूरत खेल को जन्म देने का दावा करने वाला देश होने के बावजूद इंग्लैंड कभी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर सका। हर बार, हर टूर्नामेंट में उसके उत्साही प्रशंसकों ने जरूर सुर्खियों में रहे लेकिन, टीम की नियति नहीं बदल सके। इस बार मेजबान के पास सुनहरा मौका है, पिछले 55 साल से नासूर बनते जा रहे हर जख्म पर यूरो फाइनल में जीत के साथ मरहम लगाने का।
फाइनल से पहले उसके हर प्रशंसक की जबां पर टीम का गीत है फुटबाल इज कमिंग होम। उनके इस सपने को सच में बदलने के लिए इंग्लैंड के खिलाडि़यों को इतालवी दीवार में सेंध लगानी होगी जो इतना आसान नहीं है। फुटबाल की ही तरह क्रिकेट के जनक इस देश ने दो साल पहले विश्व कप जीतकर खिताब का सूखा दूर किया। अब इंग्लैंड के खेलप्रेमियों को फुटबाल में उसी कहानी के दोहराव का इंतजार है।
पिछले 55 साल में इंग्लैंड ने 26 विश्व कप और यूरो चैंपियनशिप देखी जिनमें से सात में तो वे क्वालीफाई नहीं कर सके। डेनमार्क और यूनान जैसे छोटे देश भी खिताब जीतने में कामयाब रहे लेकिन, इंग्लैंड को नाकामी ही नसीब हुई। जर्मनी के खिलाफ यूरो 1996 सेमीफाइनल में निर्णायक पेनाल्टी चूकने वाले साउथगेट कोच के तौर पर उस मलाल को मिटाना चाहते हैं।
यहां तक कैसे पहुंचे : इंग्लैंड की टीम ने ग्रुप स्तर के मैचों में उस तरह का प्रदर्शन नहीं किया था जिससे उसकी उसे उम्मीद की जा रही थी लेकिन नाक आउट मैचों में कप्तान हैरी केन के फार्म में आने से टीम की किस्मत बदल गई। उसने सेमीफाइनल में डेनमार्क को हराकर फाइनल का टिकट कटाया था। वहीं, इटली की टीम 33 मैचों से नहीं हारी और वह इस टूर्नामेंट ऐसी टीम बनकर उभरी है जिसका तोड़ अन्य विपक्षी टीमों के पास नहीं निकला है। सेमीफाइनल में टीम को स्पेन के खिलाफ जरूर पेनाल्टी शूट आउट खेलना पड़ा लेकिन टीम ने वहां भी जीत हासिल करके खिताबी मुकाबले में पहुंची।
जीत का मंत्र : इटली टूर्नामेंट में गोल तो कर ही रही है और साथ में उसका डिफेंस मजबूत है और इटली के इस किले में सेंध लगाना इंग्लैंड के लिए आसान नहीं होगा। इसके अलावा इंग्लैंड मिडफील्ड में भी मजबूत है। इतालवी टीम मिडफील्ड में पूरी ताकत से खेलती हैं और इंग्लैंड की तुलना में वे इसमें काफी मजबूत हैं। मार्को वेराट्टी, जोर्गिहो और निकोलो बारेला से मिडफील्ड में अच्छे प्रदर्शन की फिर से आस रहेगी। इटली डिफेंस में मजबूत है और सेंटर-बैक लियोनार्डो बोनुची और जार्जियो चिएलिनी जैसे खिलाडि़यों से प्रशंसकों को शानदार प्रदर्शन की आस रहेगी।
वहीं, कोच गेरेथ साउथगेट की टीम इंग्लैंड ने टूर्नामेंट में एक ही गोल खाया है और इनके किले को भेदने के लिए इतालवी को अलग ही रणनीति बनानी होगी। अगर हैरी केन और रहीम स्टर्लिग की जोड़ी इतालवी किले को भेद दे तो यह टीम एक गोल के अंतर से भी मैच को जीतने का दमखम रखती है। इसलिए यह टीम इस टूर्नामेंट में सबसे खतरनाक टीमों में से एक मानी जाती है। साउथगेट की टीम की सभी विभागों में अच्छी है। टीम के पास आत्मविश्वास है और वेंबले स्टेडियम में यानी घर में खेलने और घरेलू प्रशंसकों का समर्थन टीम में और जोश भरेगा।