राजनीति

गांधी परिवार से हुआ मोहभंग या मल्लिकार्जुन खड़गे के वादों से थके, चुनाव से पहले क्यों भड़के सचिन पायलट

 नई दिल्ली

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी ज्योतिरादित्य सिंधिया और हिमंत बिस्वा की राह पकड़ेंगे या कांग्रेस के सिपाही बने रहेंगे? इसे लेकर कयासों का दौर जारी है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले पायलट की गतिविधियों ने कांग्रेस की चिंताओं में इजाफा कर दिया है। अब सवाल यह भी है कि आखिर राजस्थान में युवा नेता के बार-बार बदलते रुख की वजह क्या है।

क्या थक गए हैं पायलट?
कहा जा रहा है कि पायलट कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की तरफ से कई बार मिल चुके आश्वासन से थक गए हैं। अटकलें थीं कि मार्च 2023 में खड़गे पायलट को प्रदेश प्रमुख बनाने पर विचार कर रहे हैं। अब अगर ऐसा होता, तो यह सीएम गहलोत के लिए चिंता बढ़ाने वाला कदम हो सकता था। हालांकि, पायलट पहले भी राजस्थान कांग्रेस की कमान संभाल चुके हैं।

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गांधी परिवार से मोहभंग?
दरअसल, अगर पायलट राजस्थान में पार्टी प्रमुख के तौर पर वापसी करते, तो 2023 विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में उनका भी बराबर का योगदान होता। अब कहा जा रहा है कि अनशन के जरिए कांग्रेस नेता यह दिखाना चाह रहे हैं कि पार्टी को लेकर उनकी वफादारी को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए। यहां पायलट की तरफ से उठाए जा रहे सवालों को बदलती सियासी तस्वीर के रूप में, गांधी परिवार के साथ मोहभंग और जमीनी स्तर पर सच्चाई जानने से जोड़कर देखा जा रहा है। जानकार मानते हैं कि अब समय है कि गांधी परिवार खड़गे को इस मामले को सुलझाने में रफ्तार बढ़ाने के लिए कहे। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों तक रुकने के मूड में नजर आ रहे हैं।

कांग्रेस भी सख्त
इधर, कांग्रेस भी पायलट के अनशन पर सवाल उठा रही है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि इस तरह की गतिविधि को पार्टी विरोधी माना जाएगा। पायलट ने रविवार को कहा था कि वह राज्य की भाजपा सरकार में कथित तौर पर हुए 'भ्रष्टाचार' पर कार्रवाई की मांग को लेकर 11 अप्रैल को जयपुर में शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करेंगे।

कांग्रेस के राजस्थान मामलों के प्रभारी महासचिव सुखजिंदर रंधावा ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'मैंने निजी तौर पर सचिन पायलट को फोन किया और उनसे इस तरह जनता के बीच जाने के बजाय पार्टी के मंचों पर ऐसे मामले उठाने को कहा है।' उन्होंने कहा कि ऐसी किसी कार्रवाई या अनशन का औचित्य नहीं है और सभी मामले पार्टी के मंच पर उठाए जाने चाहिए, न कि इस तरह सार्वजनिक रूप से। उन्होंने कहा, 'ऐसा कोई भी कदम पार्टी विरोधी गतिविधि माना जाएगा।'

 

KhabarBhoomi Desk-1

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