मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश की अमूल्य जैव-संपदा का प्रदर्शन

9वें अंतर्राष्ट्रीय वन मेले का आयोजन 20 दिसंबर से
विभिन्न राज्यों के 300 स्टॉल लगेंगे, नामी वैद्यों का नि:शुल्क परामर्श मिलेगा

भोपाल

मधयप्रदेश की वनोपजों की अमूल्य संपदा के प्रदर्शन, वनोपज प्र-संस्करणकर्ताओं, अनुसंधानकर्ताओं को अंतर्राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराने और मध्यप्रदेश की समृद्ध जैव-विविधता के प्रदर्शन के उद्देश्य से राजधानी भोपाल में सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वन मेले का आयोजन 20 दिसंबर से किया जा रहा है।

Related Articles

वन मेले में विभिन्न राज्यों के वन औषधि उत्पादों के 300 से ज्यादा स्टॉल लगाए जाएंगे। करीब डेढ़ लाख लोगों का आगमन होगा। नि:शुल्क आयुर्वेदिक परामर्श के लिए 100 से ज्यादा वैद्य आमजन के लिए उपस्थित रहेंगे। वन विभाग, लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा 2001 से वन मेले का आयोजन किया जा रहा है।

वन मेला देश का अनूठा आयोजन है। वन मेले के माध्यम से वनोपज संग्रह करने वालों से लेकर, अनुसंधान, प्र-संस्करण, विनिर्माण और अनुसंधान करने वाले, हर्बल दवाइयों के निर्माता और अनुसंधानकर्ता एकत्र होकर समृद्ध वन औषधि की संपदा को आत्मसात करते हैं।

वनों से खाद्य उत्पाद, परंपरागत औषधियाँ तथा आजीविका प्राप्ति के लिए वनीय संसाधनों का समुचित एवं संवहनीय उपयोग सुनिश्चित करना वर्तमान में महत्वपूर्ण आवश्यकता एवं समय की महत्वपूर्ण मांग है।

विश्व स्तर पर आयुर्वेद की लोकप्रियता बढ़ रही है। इसका आधार वनों में पायी जाने वाली औषधीय जड़ी-बूटियाँ हैं। भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्यति, योग, एवं आयुर्वेद का महत्व बढ़ा है। इससे हर्बल उत्पादों की बढ़ती हुई लोकप्रियता से विश्वस्तरीय मांग में निरंतर वृद्दि हो रही है।

वन मेले के माध्यम से वनवासियों को एक ओर जहाँ उनके द्वारा संग्रहित कच्चे माल तथा वनोषधियों के लिये बाज़ार उपलब्ध हुआ, वहीं उनमें ग्रामीण स्तर पर स्वावलंबी होकर लघु उद्योग स्थापित करने की भी संभावनाएँ तलाशी गईं। शहरी क्षेत्रों के निवासियों को उचित कीमत पर शुद्ध उत्पाद उपलब्ध हुए हैं। लघु वनोपज संघ के प्रयासों से प्रदेश की अनेक प्राथमिक संस्थाओं द्वारा तैयार वनोषधियों एवं अन्य हर्बल उत्पादों ने प्रदेश तथा प्रदेश के बाहर अपनी पहचान बना ली है।

इस बार खास

वन मेले में विक्रय हेतु 300 स्टॉल स्थापित किये जा रहे हैं। इनमें उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उड़ीसा, महाराष्ट्र आदि राज्यों के हर्बल उत्पाद शामिल हैं। हर्बल उत्पादों विशेषकर कच्चे माल से लेकर प्र-संस्कृत उत्पादों एवं इससे संबंधित तकनीक का जीवंत प्रदर्शन किया जायेगा। मेला अवधि में लगभग 1.5 लाख लोगों द्वारा मेले का भ्रमण और प्रतिदिन लगभग 20 हजार लोगों का आना अपेक्षित है।

मध्यप्रदेश के प्रमुख आयुर्वेदिक विद्यालयों से स्टॉल

चिकित्सा परामर्श के लिये ओपीडी के स्टॉल स्थापित किये जा रहे हैं। इसमें 100 से अधिक आयुर्वेदिक डॉक्टरों/वैद्यों द्वारा निःशुल्क चिकित्सीय परामर्श दिया जायेगा। “लघु वनोपज से आत्म-निर्भरता” थीम पर आधारित मेले में दो दिवसीय कार्यशाला होगी।

कार्यशाला में भूटान, नेपाल, फिलीपींस के विशेषज्ञों के साथ मध्यप्रदेश एवं अन्य राज्यों के विषय-विशेषज्ञ भी अपने विचार रख सकेंगे। लघु वनोपजों के प्रबंधन एवं संरक्षण के संबंध में विस्तृत चर्चा करेंगे।

लघु वनोपजो के क्रय-विक्रय के लिये क्रेता-विक्रेता सम्मेलन

मेले में प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्कूली बच्चों की नृत्य प्रतियोगिता, चित्रकला, प्रतियोगिता, गायन प्रतियोगिता, फ़ैसी ड्रेस, नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जायेगा। जनजातीय लोक नृत्य एवं लोक गीत भी होंगे। प्रमुख प्रस्तुतियों में 21 दिसम्बर को बैम्बू म्यूज़िकल बैंड, 22 दिसम्बर को कबीर कैफ़े, 23 दिसम्बर को हास्य कलाकार सुनील पाल का शो, 24 दिसम्बर को प्रसिद्ध गायक विनोद राठौर का कार्यक्रम और 25 दिसम्बर को वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की प्रस्तुति शामिल है।

 

KhabarBhoomi Desk-1

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button