रायपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ के वर्तमान भाजपा नेतृत्व विरोधी नेता एक बार फिर दिल्ली दरबार में दस्तक दे रहे हैं। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल दिल्ली पहुंचे हुए हैं और सरकार-संगठन के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने सरकार और संगठन के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो एक महीने में केंद्रीय नेताओं ने अलग-अलग स्तर पर संगठन के कामकाज की पड़ताल की है। ऐसे में जो फीडबैक मिला है, उसमें किसी तेजतर्रार नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने की चर्चा है। भाजपा नेताओं ने केंद्रीय नेताओं के सामने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को उनके अंदाज में ही जवाब नहीं दिया जाएगा, तब तक सत्ता में वापसी संभव नहीं है।
इस फीडबैक के बाद से ही विरोधी खेमे के नेता दिल्ली दरबार में सक्रिय हुए हैं। प्रदेश भाजपा की राजनीति में रमन विरोधी खेमे के रूप में बृजमोहन अग्रवाल, प्रेमप्रकाश पांडेय, अजय चंद्राकर को माना जाता है। अजय चंद्राकर कांग्रेस की सरकार आने के बाद से ही मुख्यमंत्री बघेल पर तीखे हमले कर रहे हैं। प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी की लगातार बैठकों के बाद से बृजमोहन अग्रवाल भी सक्रिय हुए हैं। प्रेमप्रकाश पांडेय विधानसभा चुनाव हारने के बाद से भिलाई में सीमित हो गए थे, लेकिन पिछले दिनों उन्होंने राजधानी में दस्तक दी और करीबी नेताओं से संपर्क किया।
भाजपा में आक्रामक प्रदेश अध्यक्ष के लिए रमन विरोधी खेमा जमकर लाबिंग कर रहा है। इस खेमे की कोशिश है कि अजय चंद्राकर को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी जाए। इसकी पठकथा राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश के छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान लिख दी गई थी। अब राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत गौतम के तीन दिवसीय प्रवास के बाद हलचल तेज हो गई है।
टीम मोदी में सरोज या साव, बढ़ी उम्मीद
टीम मोदी में राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय और बिलासपुर के सांसद अरूण साव में से किसी एक को लेने की चर्चा है। साव को ओबीसी समीकरण के आधार पर जगह मिलने की उम्मीद की जा रही है। वहीं, केंद्रीय संगठन में अपनी दखल के कारण सरोज की दावेदारी सामने आ रही है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो सरोज को केंद्रीय संगठन में जगह भी इसी स्थिति में नहीं दी गई है कि उनको केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। प्रदेश कोटे से मंत्री रेणुका सिंह के परफार्मेस को बेहतर नहीं माना जा रहा है। प्रदेश में ढाई साल बाद चुनाव होने हैं। ऐसे में केंद्रीय संगठन भी किसी तेजतर्रार नेता को मंत्रिमंडल में शामिल कराने की सिफारिश कर रहा है। –