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क्राइम ब्रांच सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्ट्‌टियूट के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में

जबलपुर

जबलपुर के सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्ट्‌टियूट पर भोपाल क्राइम ब्रांच एफआईआर की तैयारी में है। साल 2019 से इसकी बॉर काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) मान्यता समाप्त हो चुकी है। इसके बाद भी महाविद्यालय में लगातार छात्रों को एडमिशन दिया जाता रहा।

सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्ट्‌टियूट सहित अवैध ढंग से संचालित 135 इंस्ट्‌टियूट के खिलाफ जांच के आदेश भोपाल पुलिस के कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र को दिए गए थे। जांच में जबलपुर के सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्ट्‌टियूट को अवैध रूप से संचालित करने की बात साफ हुई। अब क्राइम ब्रांच इस इंस्ट्‌टियूट के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में है।

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हाईकोर्ट ने आपराधिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया

11 मार्च को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बिना मान्यता वाले विधि पाठ्यक्रम (एलएलबी-एलएलएम) में प्रवेश देने वाले कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई का निर्देश दिया। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस कमिश्नर भोपाल को जांच करने और कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए।

साथ ही, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अधिकारियों को जांच में सहयोग करने के लिए कहा गया है।

छात्रों को काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए मना किया

जबलपुर के छात्र वियोम गर्ग, पंकज भट्‌ट शिक्षा पटेल सहित अन्य ने याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्टीट्यूट, जबलपुर से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। हालांकि, कोर्स पूरा करने के बाद जब उन्होंने मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया, तो उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि संस्थान की बीसीआई मान्यता समाप्त हो चुकी है। इसका कारण यह था कि संस्थान ने बीसीआई को नवीनीकरण शुल्क जमा नहीं किया था।

जानिए हाईकोर्ट ने क्या दिए हैं आदेश

    बीसीआई से मान्यता प्राप्त न होने पर शैक्षणिक संस्थान और विश्वविद्यालयों को अपने पोर्टल पर इसका स्पष्ट उल्लेख करना होगा।
    ऐसे संस्थानों को यह भी साफ करना होगा कि वे केवल शैक्षणिक प्रयोजन के लिए ही विधि पाठ्यक्रम संचालित करते हैं।
    बीसीआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी संस्थान छात्रों के करियर के साथ खिलवाड़ न कर सके।
    सभी विश्वविद्यालय और विधि कॉलेजों को हर कैलेंडर वर्ष के मार्च महीने में अपने पोर्टल को अपडेट करना होगा, ताकि छात्र गुमराह न हों।
    किसी संस्थान की मान्यता समाप्त होने का प्रभाव छात्रों पर नहीं पड़ना चाहिए।
    यदि कोई संस्थान धोखाधड़ी करता है, तो बीसीआई उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई कर सकती है।

HC ने बीसीआई के इस काम की कड़ी निंदा की

छात्रों ने कोर्ट के समक्ष यह मामला उठाया कि बीसीआई कुछ संस्थानों को बैकडेट पर मान्यता देती है। कुछ मामलों में तो 20 साल बाद पिछली तारीख से मान्यता दी गई। इस प्रथा के कारण उन छात्रों का भविष्य खराब हो रहा है, जो बीसीआई, स्टेट बार, मध्य प्रदेश शासन और विश्वविद्यालय के पोर्टल पर मान्यता के गलत विवरण के आधार पर प्रवेश लेते हैं। हाईकोर्ट ने बीसीआई के इस काम की कड़ी निंदा की है।

अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी

हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी, जिसमें उच्च शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी और पुलिस कमिश्नर भोपाल को हाजिर रहना होगा।

 

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