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कोरोना वायरस की उत्पत्ति पर चीन की पारदर्शिता के बारे में बढ़ रहा संदेह, जानकारी छुपाने का हुआ प्रयास !

वाशिंगटन, एएनआइ। चीन पर कोरोना वायरस का सच छुपाने को लेकर संदेह बढ़ता जा रहा है। चीन पर कोरोना के बारे में जानकारी छुपाने के प्रयास का आरोप लग रहा है। अमेरिका में फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर के एक वायरोलॉजिस्ट और प्रोफेसर जेसी ब्लूम ने चीन की वुहान लैब से कोरोना वायरस के कुछ शुरुआती जीनोम सीक्वेंस को हटाए जाने के बाद उसे दोबारा हासिल कर लिया है। इस अमेरिकी वैज्ञानिक के शोध में बताया गया है कि उसने SARS-CoV-2 के बारे में संभावित महत्वपूर्ण आनुवांशिक डेटा को पुनः प्राप्त कर लिया है, जिसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान में एक डिजिटल प्‍लेटफॉर्म में रखा था और बाद में उसे हटा दिया गया था।

जेसी ब्लूम ने बताया कि उन्‍होंने बायोरेक्सिव सर्वर पर कोरोना वायरस से जुड़ी सभी जानकारी अपलोड कर दी हैं। बता दें कि बायोरेक्सिव एक ऐसा सर्वर है, जहां पर कोरोना से जुड़े अभी तक के शोध पेपर रिव्‍यू और पब्लिश होने से पहले रखे जाते हैं। ब्लूम ने वॉशिंगटन पोस्ट को दिए एक इंटरव्‍यू में कहा है कि मैं मानता हूं कि ये एक हॉट टॉपिक है। यह एक अत्यधिक पारंपरिक वैज्ञानिक अध्ययन नहीं है, लेकिन कम से कम इसमें कुछ नया डेटा और नई जानकारी है।

वो बताते हैं कि दुनियाभर में कोरोना वायरस चीन के वुहान से फैला था। इसमें बताया गया है कि वुहान में बेचे जाने वाले जानवरों से ही कोरोना वायरस दुनियाभर में फैला था। उन्होंने इस बात पर सवाल भी उठाया है कि क्या चीन कुछ छिपा रहा है? उन्होंने कहा है कि यह समय है जब हम ए एक गंभीर, निरंतर जांच शुरू कर दें। उन्होंने कहा है कि महामारी का कारण बनने वाली चिंगारी के करीब जाने के लिए, संक्रमित होने वाले लोगों के शुरुआती मामलों का पता लगाना सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा है कि शुरुआती मरीजों के मामले ये बता सकते हैं कि क्या वायरस जानवर से इंसान में आया. एक जूनोटिक स्पिलओवर में या क्या संक्रमण वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में एक अनजाने दुर्घटना से आया था, जो सक्रिय रूप से बैट कोरोना वीरस और उनकी क्षमता का अध्ययन कर रहा था।

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चीन में अक्टूबर 2019 में ही मिल गया था कोरोना का पहला केस

एक नए अध्ययन के अनुसार, चीन में अक्टूबर, 2019 के प्रारंभ में ही कोरोना संक्रमण फैल गया था। चीन ने इसके करीब दो माह बाद यानी दिसंबर, 2019 में वुहान शहर में कोरोना का पहला मामला मिलने की पुष्टि की थी। बीजिंग पर पहले से यह आरोप लगता रहा कि उसने शुरआती दौर में कोरोना के बारे में जानकारी छुपाने का प्रयास किया था। यह अध्ययन ऐसे समय सामने आया, जब कोरोना के स्रोत का पता लगाने के लिए नए सिरे से जांच की मांग जोर पक़़ड रही है। यह संदेह है कि वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी लैब से कोरोना वायरस लीक हुआ था।

पीएलओएस पैथजन पत्रिका में गुरवार को प्रकाशित अध्ययन से जाहिर होता है कि चीन में वषर्ष 2019 के अक्टूबर की शुरआत और मध्य नवंबर के बीच कोरोना का पहला केस मिला था। शोधकर्ताओं के अनुसार, संक्रमण की शुरआत की तारीख संभवत: 17 नवंबर, 2019 थी। ब्रिटेन की केंट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डेविड रॉबर्ट और उनके सहयोगियों ने एक गणितीय मॉडल के आधार पर यह अध्ययन किया है। इससे कोरोना के फैलने के बारे में नई जानकारी सामने आई है।

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