छत्तीसगढ़

खेल-खेल में बच्चे आध्यात्मिकता के रंग में रंग रहे

रायपुर

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित समर कैम्प के दूसरे दिन अर्न्तजगत की यात्रा विषय पर बोलते हुए ब्रह्मद्दाकुमारी रूचिका दीदी ने कहा कि यदि हम अपने जीवन में आगे बढऩा चाहते हैं तो यह जानना निहायत जरूरी है कि मैं कौन हूँ? उन्होंने बतलाया कि इस दुनिया में जितने भी जड़ पदार्थ हैं, वह स्वयं अपने ही उपयोग के लिए नही बने हैं। सभी जड़ पदार्थों का उपभोग करने वाला उससे भिन्न कोई चैतन्य प्राणी होता है। हमारा यह शरीर भी जड़ पदार्थों से बना पांच तत्वों का पुतला है तो जरूर इसका उपयोग करने वाला इससे भिन्न कोई चैतन्य शक्ति होनी चाहिए।

ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने कहा कि जब हम कहते हैं कि मुझे शान्ति चाहिए? तो यह कौन है जो कहता है कि मुझे शान्ति चाहिए? शरीर शान्ति नही चाहता। आत्मा कहती है कि मुझे शान्ति चाहिए। उन्होने आगे कहा कि आत्मा एक चैतन्य शक्ति है। शक्ति को स्थूल नेत्रों से देखा नही जा सकता लेकिन मन और बुद्घि से उसका अनुभव किया जाता है। जैसे बिजली एक शक्ति है, वह दिखाई नही देती किन्तु बल्ब जल रहा है, पंखा चल रहा है, तो हम कहेंगे किबिजली है। इसी प्रकार आत्मा के गुणों का अनुभव करके उसकी उपस्थिति का अहसास होता है। आत्मा का स्वरूप अतिसूक्ष्म ज्योतिबिन्दु के समान है। आत्मा तीन शक्तियों के द्वारा अपना कार्य करती है। वह किसी भी कार्य को करने से पहले मन के द्वारा विचार करती है, फिर बुद्घि के द्वारा यह निर्णय करती है कि उसके लिए क्या उचित है और क्या अनुचित? तत्पश्चात किसी भी कार्य की बार-बार पुनरावृत्ति करने पर वह उस आत्मा का संस्कार बन जाता है। उन्होंने कहा कि हमारा मन किसी न किसी व्यक्ति, वस्तु या पदार्थ की स्मृति में भटकता रहता है, अब उसे इन सबसे निकालकर एक परमात्मा की याद में एकाग्र करना है। इसी से आत्मा में आत्मविश्वास और शक्ति आएगी।

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व शान्ति भवन चौबे कालोनी रायपुर में आयोजित समर कैम्प के दूसरे दिन अन्तर्राष्ट्रीय योग प्रशिक्षिका ज्योति गुप्ता एवं उनकी सहयोगी कु. काजल मानिकपुरी ने स्वस्थ रहने के लिए बच्चों को सुख आसन, ताड़ासन, वृक्षासन, नटराजासन, सूर्य नमस्कार, तितली आसन कुछ उपयोगी आसन सिखाए।
योग प्रशिक्षिका ज्योति गुप्ता ने बतलाया कि रोजाना वृक्षासन करने से परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने श्वांस पर नियंत्रण के साथ ही सही रीति से श्वांस लेना भी सिखाया। श्वांस छोडऩे पर पेट अन्दर और श्वांस लेने पर पेट बाहर निकलना चाहिए। बच्चों को प्रतिदिन समय निकालकर खाली पेट चार से पांच मिनट सूर्य तक नमस्कार जरूर करना चाहिए। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। उन्होंने बच्चों को सूर्य नमस्कार के बारह आसन सिखाए।

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