भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अमर वीरांगना झलकारी बाई के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि दी और निवास कार्यालय स्थित सभागार में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
वीरांगना झलकारी बाई का जन्म 22 नवम्बर 1830 को झाँसी के पास भोजला गाँव में हुआ था। वे रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में महिला शाखा की सेनापति थी। रानी लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थी। इस कारण शत्रु को गुमराह करने के लिए रानी के वेश में युद्ध भी करती थी। झलकारी बाई भारत की सबसे सम्मानित महिला सैनिकों में से एक हैं, जिन्होंने वर्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई के अंग्रेजी सेना से घिर जाने पर झलकारी बाई ने सूझ-बूझ, स्वामी-भक्ति और राष्ट्रीयता का परिचय दिया। वे अपने अंतिम समय में भी रानी के वेश में युद्ध करते हुए 4 अप्रैल 1857 को वीर गति को प्राप्त हुईं। उनकी गाथा आज भी बुंदेलखंड की लोक- कथाओं और लोक-गीतों में सुनी जा सकती है। केन्द्र सरकार ने 22 जुलाई 2001 को उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया है।