नईदिल्ली
चांद के चारों तरफ अब Chandrayaan-3 के सारे ऑर्बिट मैन्यूवर पूरे हो चुके हैं. चंद्रयान-3 चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में पहुंच गया है. यह 153 km x 163 km की ऑर्बिट है. अब चंद्रयान का कोई ऑर्बिट नहीं बदला जाएगा. 16 अगस्त की सुबह करीब 8.38 बजे चंद्रयान का इंजन एक मिनट के लिए ऑन किया गया था. जिसके बाद उसकी ऑर्बिट बदल दी गई. इससे पहले वह 150 km x 177 km की ऑर्बिट में था.
5 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद की पहली ऑर्बिट में पहुंचा था. इसी दिन चंद्रयान ने चांद की पहली तस्वीरें जारी की थीं. उसके बाद अब तक इसकी चार बार ऑर्बिट बदली जा चुकी है. पहला ऑर्बिट 164 x 18074 KM का था. 6 अगस्त 2023 को ऑर्बिट घटाकर 170 x 4313 km किया गया. यानी चंद्रयान-3 को चंद्रमा की दूसरी कक्षा में डाला गया था.
इसके बाद 9 अगस्त को तीसरी बार ऑर्बिट बदली गई थी. तब यह चांद की सतह से 174 km x 1437 km की ऑर्बिट में घूम रहा था. चांद की ऑर्बिट में इसरो चंद्रयान-3 के इंजनों से रेट्रोफायरिंग करवा रहा है. यानी गति धीमी करने के लिए उलटी दिशा में यान को चला रहा है. इसके बाद 14 अगस्त को चंद्रयान-3 को 150 km x 177 km की ऑर्बिट में डाला गया था.
कल अलग हो जाएंगे प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल
17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे. इसी दिन दोनों मॉड्यूल चंद्रमा के चारों तरफ 100 km x 100 km की गोलाकार ऑर्बिट में होंगे. 18 अगस्त की दोपहर पौने चार बजे से चार बजे के बीच लैंडर मॉड्यूल की डीऑर्बिटिंग होगी. यानी उसकी कक्षा की ऊंचाई में कमी लाई जाएगी. 20 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल की रात पौने दो बजे डीऑर्बिटिंग होगी.
23 अगस्त को लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा. सबकुछ सही रहेगा तो पौने छह बजे के करीब लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा. ISRO के बेंगलुरु में मौजूद सेंटर टेलिमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) से लगातार चंद्रयान-3 की सेहत पर नजर रखी जा रही है. फिलहाल चंद्रयान-3 के सभी यंत्र सही तरीके से काम कर रहे हैं.