मध्यप्रदेश

केन्द्र सरकार देश मे लोकतंत्र का गला घोंट रही है-अजीत सिंह

 सतना
रामपुर बाघेलान बिधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत ब्लाक कांग्रेस कमेटी बेला द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव अजीत सिंह ने कहा कि लोकसभा मे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 7 फरवरी को देश की सरकार से जो सवाल किये थे उन सवालों का सामने करने की सामर्थ्य केन्द्र सरकार मे नही रही इसीलिए देश भर मे हिडेनवर्ग रिपोर्ट के बाद मचे घमासान व पीएम मोदी व उद्योगपति गौतम अडानी के संबधो का खुलासा होने के बाद केन्द्र सरकार पूरी तरह बिचलित नजर आ रही है,संपूर्णबिपक्ष की अडानी घोटाले पर जेपीसी की मांग तथा राहुल गांधी के संसद मे दिये गये भाषण को 18बार कट किया गया तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे जी के राज्यसभा मे दिये भाषण को बिलोपित किया गया। इन सबके बाद आनन फानन मे गुजरात मे चल रहे एक मानहानि के मामले में सजा के निर्णय के अगले दिन लोकसभा की सदस्यता से राहुल गांधी को अयोग्य करार दें दिया गया, उसके बाद भी जब मोदी सरकार से नही रहा तब बंगला खाली करने का नोटिस देना इस बात का प्रमाण है कि मोदी सरकार को लोकतंत्र पर कोई भरोसा नहीं है तथा केन्द्र सरकार देश मे लोकतंत्र का गला घोंटने पर आमादा है।

नरेंद्र मोदी सरकार के पास दो साल पहले स्वीकार करने के बावजूद भारतीयों के स्वामित्व वाली अपतटीय शेल कंपनियों की संख्या पर कोई डेटा नहीं है, जो 2018-2021 के बीच 2,38,223 ऐसी फर्में थीं।  सरकार का यह बयान कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी द्वारा 25 मार्च की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा गया है कि "किसी ने शेल कंपनियों के माध्यम से अडानी समूह में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है" और आरोप लगाया कि उन्हें गौतम अडानी के बारे में सवाल पूछने के बाद लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।  मोदी को "डराया" था।  “नरेंद्र मोदी जी और श्री अडानी के बीच एक गहरा रिश्ता है- श्री अडानी की शेल कंपनियों में अचानक 20,000 करोड़ रुपये आ गए हैं।  यह पैसा कहाँ से आया है?”  राहुल गांधी ने पूछा था। भारतीयों के स्वामित्व वाली अपतटीय शेल फर्मों की संख्या के बारे में सरकार का बयान, 21 मार्च को सीपीआई (एम) के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास द्वारा पूछे गए सवाल के जबाब मे था।

कानून के शासन का कटाव, संस्थानों को कमजोर करना, उच्च न्यायपालिका पर दैनिक हमले, पुलिस का दुरुपयोग, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, उदारवादियों और कार्यकर्ताओं का शिकार, चुनी हुई राज्य सरकारों की जानबूझकर अधीनता, संसद की अवहेलना  -ये सभी भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के ध्वस्त होने के स्पष्ट संकेत हैं।  यदि चीजें मौजूदा मोड में जारी रहती हैं, तो हमारे 75 साल पुराने लोकतांत्रिक ढांचे को शायद हमेशा के लिए गिराने के लिए सिर्फ एक और आम चुनाव लगेगा।

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पत्रकार वार्ता मे ब्लाक कांग्रेस कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष धनेश कुशवाहा, मंडलम अध्यक्ष शोभनाथ सिंह, संतलाल केवट, राजेश गुप्ता, गौरीशंकर केवट,रामबहोर कोल मौजूद रहे।

KhabarBhoomi Desk-1

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