फिल्म जगत

बिजनेस ट्रेंड : दूसरी ‘कश्मीर फाइल’ साबित होगी ‘द केरल स्टोरी’?

नईदिल्ली
अदा शर्मा स्टारर, डायरेक्टर सुदिप्तो सेन की फिल्म द केरल स्टोरी' का टीजर पिछले साल नवंबर में आया था. कमाल की बात ये थी कि टीजर में फिल्म का एक भी सीन नहीं था. वीडियो शुरू होता है, तो अदा शर्मा अपने किरदार में बुर्का पहने बैठी दिखती हैं. उनके पीछे बाड़ पर लगी तारों के पीछे बर्फीली चोटियां नजर आती हैं. अदा अपना नकाब हटाती हैं और बताना शुरू करती हैं कि वो पहले 'नर्स बनकर लोगों की सेवा करना चाहती थीं' और उनका नाम शालिनी उन्नीकृष्णन था. लेकिन अब वो अफगानिस्तान की जेल में बंद एक 'ISIS टेररिस्ट' फातिमा बा हैं.

अदा के किरदार के दोनों नाम, एक धर्म से दूसरा धर्म अपनाने की कहानी कह रहे थे. दो ऐसे धर्म जिन्हें सिर्फ नाम से पहचानना काफी आसान है. इसी टीजर में अदा के किरदार ने दो बड़े दावे किए जो आजकल खूब विवाद बटोर रहे हैं. पहला ये कि शालिनी उन्नीकृष्णन की तरह ही '32 हजार लड़कियां कन्वर्ट' की जा चुकी हैं और सीरिया-यमन में उनकी जान जा चुकी है. दूसरा दावा ये कि 'केरल में नॉर्मल लड़कियों को खूंखार टेररिस्ट में कन्वर्ट करने का ये भयानक खेल चल रहा है.'

सेक्स रेश्यो, साक्षरता दर और विकास दर के मामले में सबसे टॉप परफॉर्म करने वाले भारतीय राज्यों में से एक केरल के बारे में अगर किसी फिल्म में ऐसे दावे हों तो नेचुरली, कंट्रोवर्सी तो होनी ही है. 'द केरल स्टोरी' की कहानी पर जहां कई हस्तियों ने आपत्ति दर्ज करवाई है. वहीं इसे बैन करने की मांग भी होने लगी है. आपत्ति के बड़े कारणों में से एक है, '32 हजार' लड़कियों के साथ वैसा होने का दावा, जैसे 'द केरल स्टोरी' की लीड किरदार के साथ हो रहा है. दूसरी तरफ, सिनेमा और राजनीति के कई जानेमाने नाम इसे सपोर्ट भी कर रहे हैं.

फिल्म के प्रोड्यूसर विपुल शाह ने कहा है कि उनकी फिल्म 'हजारों लड़कियों की आवाज बनेगी'. उन्होंने हाल ही में ये भी कहा कि उन्हें लड़कियों का दर्द समझे जाने की उम्मीद थी, न कि 32 हजार के आंकड़े पर विवाद होने की. मगर इस पूरे विवाद से लोगों को पिछले साल की, सबसे कमाऊ बॉलीवुड फिल्मों में से एक की याद आने लगी है.

किसी का 'कश्मीर' किसी का 'केरल'
'द केरल स्टोरी' के टीजर में धर्म बदलना-ISIS-आतंकवाद जैसे तमाम कीवर्ड थे, जो एक विचारधाराओं के बचाव में जमकर डटी रहने वाली सोशल मीडिया चर्चाओं में काफी हॉट रहते हैं. माहौल ऐसा बनने लगा कि लोगों को तुरंत पिछले साल आई 'द कश्मीर फाइल्स' याद आने लगी. 'द कश्मीर फाइल्स' और 'द केरल स्टोरी' में एक कॉमन थ्रेड भी है. जहां अनुपम खेर की फिल्म ने धर्म अलग होने के चलते एक कम्युनिटी को बर्बर आतंकी हिंसा का शिकार होते दिखाया. वहीं अदा शर्मा की फिल्म का ट्रेलर, लड़कियों का धर्म बदलकर उन्हें आतंक फैलाने का एक 'टूल' बनाने की कहानी कहता दिख रहा है. दोनों ही फिल्मों में आतंक की कहानी है. दोनों ही कहानियों में विक्टिम और विक्टिमाइजर, सेम धार्मिक पक्षों को रिप्रेजेंट करते हैं.  

विवेक अग्निहोत्री की, अनुपम खेर स्टारर 'द कश्मीर फाइल्स' से भी गर्मागर्म सोशल मीडिया बहसों को काफी मसाला मिला था. 'द कश्मीर फाइल्स' पिछले साल की सबसे कामयाब हिंदी फिल्मों में से एक थी. रिपोर्ट्स के हिसाब से, 20-25 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने, वर्ल्डवाइड 340 करोड़ रुपये से ज्यादा ग्रॉस कलेक्शन किया. मेकर्स के लिए 'द कश्मीर फाइल्स' जिस तरह का प्रॉफिट लेकर आई वो अपने आप में किसी जैकपॉट से कम नहीं था. लेकिन एक साल से भी ज्यादा पहले आई इस फिल्म को लेकर अगर लोगों की राय पूछी जाए, तो जवाब दो बिल्कुल अलग राजनीतिक-वैचारिक ध्रुवों पर मिल सकते हैं.

'द केरल स्टोरी' के लिए जनता की एक्साइटमेंट
ये बताने के लिए कोई रॉकेट साइंस सीखने की जरूरत नहीं है कि 'द केरल स्टोरी' को लेकर भी जनता की राय उसी लेवल पर डिवाइड हो रही है जैसे 'द कश्मीर फाइल्स' के समय हुआ था. सोशल मीडिया की वर्चुअल लाइफ और रियल लाइफ में 'द केरल स्टोरी' के बारे में लोगों से बात करके ये आसानी से समझ आ जाता है.

किसी फिल्म की पॉलिटिक्स, विचारधारा और सोशल मैसेज एक किनारे रखकर, सिर्फ फिल्म बिजनेस के लिहाज से ये एक गोल्डन चांस होता है. किसी प्रोडक्ट को लेकर लोगों की राय बिल्कुल डिवाइड होना, प्रोडक्ट के इग्नोर हो जाने से कहीं ज्यादा बेहतर होता है. इसलिए सबसे फायदे की बात ये है कि भले 'द केरल स्टोरी' को जनता के एक पक्ष से खूब सपोर्ट और दूसरे पक्ष से खूब आलोचनाएं मिल रही हों. भले केरल के कई एक्टिविस्ट-लॉयर और जर्नलिस्ट फिल्म को घेरने की तैयारी में दिख रहे हों. लेकिन 'द केरल स्टोरी' को जोरदार चर्चा और माहौल तो मिल ही गया है. IMDB के हिसाब से, 2023 में सबसे ज्यादा इंतजारित फिल्मों और शोज की लिस्ट में 'द केरल स्टोरी' टॉप पर है. शाहरुख खान की अगली फिल्म 'जवान' और प्रभास की 'आदिपुरुष' से भी ऊपर.

 

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