
इंदौर
डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड) की फर्जी अंकसूची से नौकरी हासिल करने वालों में जिले के भी 80 शिक्षक हैं। इनमें से 20 के नाम एसटीएफ की जांच में सामने आ चुके हैं। लगभग 20 साल से चल रहे इस घोटाले में फर्जी अंकसूची से नौकरी पाने वाले ये लोग इंदौर और सांवेर की स्कूलों में नौकरी कर रहे हैं।
ग्वालियर निवासी गौरीशंकर राजपूत ने कुछ शिक्षकों की जानकारी सूचना का अधिकार के तहत निकाली थी। उन्हें लगभग 130 लोग ऐसे मिले, जिनके रोल नंबर एक ही थे। इन रोल नंबर के आधार पर उन्होंने माध्यमिक शिक्षा मंडल से जानकारी ली तो पता चला कि मार्कशीट किसी और के नाम पर थी। उन्होंने फर्जी तरीके से नौकरी पाने वालों की शिकायत ग्वालियर पुलिस की एसटीएफ से की थी। एसटीएफ ने जांच के बाद एफआइआर दर्ज की है, जिसमें 34 शिक्षकों के फर्जी मार्कशीट से भर्ती होने की बात सामने आई है। इन 34 में से 20 इंदौर जिले के हैं। ये 20 शिक्षक इंदौर और सांवेर में पदस्थ बताए जा रहे हैं।
गिरोह के रूप में होता है काम
बताया जा रहा है कि फर्जी शिक्षकों की भर्ती के लिए दो दशक से गिरोह सक्रिय है। फर्जी अंकसूची से संविदा शिक्षक के रूप में पंचायतों के जरिए इन शिक्षकों की नियुक्ति की गई। तीन साल बाद इन फर्जी शिक्षकों का संविलयन शिक्षा विभाग में किया जाता रहा है। जिससे वे स्थायी शिक्षक बन जाते हैं।
अफसरों की अनदेखी
पंचायतों द्वारा संविदा के आधार पर नियुक्त शिक्षकों का शिक्षा विभाग में संविलयन जनपद सीईओ और जिला पंचायत सीईओ के जरिए होता है। संविलयन के दौरान पंचायत से प्रस्ताव के आधार पर शिक्षकों के संपूर्ण दस्तावेज बुलाए जाते हैं। जनपद पंचायत द्वारा दस्तावेजों की जांच के बाद ही संविलयन किया जाता है। अफसरों ने फर्जी दस्तावेजों की जांच नहीं की और सीधे संविलयन कर दिया। इससे ये शिक्षक वर्षों से नौकरी कर रहे हैं।
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130 फर्जी शिक्षकों में से इंदौर और सांवेर में पदस्थ 80 नाम थे। 20 की जानकारी दे दी थी। बचे हुए 60 के दस्तावेज जुटाने के बाद जल्द ही इनकी भी जानकारी एसटीएफ को सौंप देंगे। 6 माह से मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। अब हम इस मामले को हाईकोर्ट ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। गौरीशंकर राजपूत, व्हिसल ब्लोअर और शिकायतकर्ता
हमारे पास जो नाम और जानकारी आई थी, उनकी अंकसूचियों की जानकारी हमने माध्यमिक शिक्षा मंडल से मांगी है। अब तक जानकारी नहीं आई है। जानकारी मिलने के बाद ही जांच या अन्य कार्रवाई कर पाएंगे। अभी हम इंतजार कर रहे हैं।- शांता सोनी, जिला शिक्षा अधिकारी, इंदौर






