बाज़ार

तगड़ा झटका :बैंक ऑफ बड़ोदा का लोन हुआ महंगा

नई दिल्ली
 

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ोदा (BOB) ने अपने ग्राहकों को तगड़ा झटका दिया है. दरअसल,  इस बैंक का लोन महंगा हो गया है. Bank Of Baroda ने बीते मंगलवार को अपने कर्ज की ब्याज दरों में 35 बेसिस प्वाइंट तक का इजाफा करने का ऐलान किया था, जो 12 जनवरी 2023 से लागू हो गया है. इसके बाद बैंक का होम लोन, पर्सनल लोग और ऑटो लोन समेत सभी तरह का कर्ज महंगा हो गया.

हर महीने देने होंगे ज्यादा पैसे
मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट यानी MCLR में बढ़ोतरी का सीधा असर लोन की ईएमआई पर पड़ता है. इसमें इजाफा होने के बाद ग्राहक को ज्यादा ईएमआई का पेमेंट करना होगा. ज्यादातर कंज्यूमर लोन एक साल के मार्जिनल कॉस्ट बेस्ड लेंडिंग रेट के आधार पर ही दिए जाते हैं. ऐसे में बैंक का ये फैसला ग्राहकों का बोझ बढ़ाने वाला है.

बदलाव के बाद नई दरें
Bank Of Baroda की ओर से शेयर बाजार को बढ़ोतरी के बाद नई ब्याज दरें 12 जनवरी से लागू किए जाने की सूचना दी गई थी. इस बदलाव के बाद नई ब्याज दरों की बात करें तो एक दिन की MCLR को 7.50 फीसदी से बढ़ाकर 7.85 फीसदी कर दिया गया है. एक महीने, तीन महीने, छह महीने और एक साल की एमसीएलआर को 0.20 फीसदी बढ़ाकर क्रमश: 8.15 फीसदी, 8.25 फीसदी, 8.35 फीसदी और 8.50 फीसदी कर दिया गया है.

रेपो रेट में बढ़ोतरी का असर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बीते साल 2022 में लगातार उच्च स्तर पर रही महंगाई दर को काबू में करने के लिहाज से एक के बाद एक लगातार पांच बार रेपो दरों में इजाफा किया था. मई 2022 से दिसंबर महीने तक नीतिगत दरों में 2.25 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली थी. इसे आखिरी बार 7 दिसंबर 2022 को 0.35 फीसदी बढ़ाया गया था. जैसे-जैसे आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया, वैसे-वैसे देश के तमाम बैंकों ने अपना कर्ज महंगा कर दिया.

दिसंबर में भी BOB ने बढ़ाई थी दरें
बैंक ऑफ बड़ोदा ने इससे पहले दिसंबर में भी अपने ग्राहकों पर बोझ बढ़ाया था. दिसंबर 2022 में बैंक की ओर से MCLR में 30 बेसिस प्लाइंट की बढ़ोतरी की गई थी और साल के पहले महीने में फिर से इसे बढ़ा दिया गया है. बीते साल के आखिरी महीने में की गई बढ़ोतरी पर गौर करें तो बेंचमार्क एक साल के एमसीएलआर में 25 आधार अंक यानी 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर 8.30 फीसदी कर दिया था, जबकि ओवरनाइट दर 7.25 फीसदी से 7.50 फीसदी की गई थी.

MCLR को इस तरह समझें
मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट्स या एमसीएलआर दरअसल, RBI द्वारा लागू किया गया एक बेंचमार्क होता है, जिसके आधार पर तमाम बैंक लोन के लिए अपनी ब्याज दरें तय करते हैं. जबकि Repo Rate वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है.

रेपो रेट के कम होने से बैंको को कर्ज सस्ता मिलता है और वे एमसीएलआर में कटौती कर लोन की EMI घटा देते हैं. वहीं जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है तो बैंकों को कर्ज आरबीआई से महंगा मिलता है, जिसके चलते उन्हें एमसीएलआर में बढ़ोतरी का फैसला लेना पड़ता है और ग्राहक का बोझ बढ़ जाता है.

KhabarBhoomi Desk-1

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