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भारत ने UNHRC सत्र में कहा, अफगानिस्तान का उपयोग आतंकी संगठन नहीं करें पड़ोसी देशों को चुनौती देने के लिए

न्यूयार्क, एएनआइ। अफगानिस्तान पर यूएनएचआरसी सत्र में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्रमणि पांडे ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति उसके पड़ोसियों के लिए एक चुनौती नहीं है। हमें उम्मीद है कि इसके क्षेत्र का उपयोग लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों द्वारा किसी अन्य देश को धमकी देने के लिए नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय के रूप में देश में शांति, स्थिरता और सुरक्षा की उनकी इच्छा में अफगानिस्तान के लोगों को पूर्ण समर्थन सुनिश्चित करना चाहिए। महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों सहित सभी अफगानों को शांति और सम्मान के साथ रहने में सक्षम बनाना चाहिए। प्रतिनिधित्व आधारित व्यवस्था को व्यापक तौर पर अधिक स्वीकार्यता और वैधता हासिल करने में मदद करेगा।


“अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के संरक्षण और प्रचार” पर विचार करने के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की पहली बैठक का 31 वां विशेष सत्र चल रहा है। 

छह दिन पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आपात बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस्लामिक आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) और आइएसआइएल-खोरासन को लेकर जो चिंताएं विश्व के सामने रखी थीं, उसे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी स्वीकार किया।

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हाल के वर्षों में आइएस (दायेश) और इसके सहयोगी आइएसआइएल-के खतरे को जिस तरह से कम किया गया था, वह तालिबान शासन में फिर सिर उठा सकता है। विदेश मंत्री ने 19 अगस्त, 2021 को यूएनएससी में अपने भाषण में इस पर जोर दिया था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत के पड़ोस में आइएसआइएल-के पहले से भी ज्यादा सक्रिय हो गया है और वह लगातार अपना प्रसार करता जा रहा है। उन्होंने आइएस को मिल रहे फंड, तकनीक के माध्यम से कट्टरता बढ़ाने और बिटक्वाइंस से भुगतान करने की बात भी उठाई थी।

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