भोपाल
शासकीय होम्योपैथी मेडिकल कालेज के प्रोफेसर की वसीयत यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए फजीहत की वजह बन गई। प्रोफेसर मृत्यु पूर्व वसीयत में लिख गए थे कि अस्पताल के उनके कैबिन का ताला बेटे, पत्नी की मौजूदगी में ही खोला जाए। लिहाजा विदेश में रह रहे बेटे के 17 मई तक न आ पाने के कारण बीस दिन तक स्टूडेंट्स की हाजिरी नहीं हो सकी।
राजधानी में कलियासोत डैम के समीप शासकीय होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज संचालित होता है। इस मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे रेपोर्टरी डॉ. पीएस सिन्हा का निधन 28 अप्रेल को उनके निवास पर हो गया था। उनके केबिन में ही पीजी स्टूडेंट्स का हाजिरी रजिस्टर वे रखते थे और इन स्टूडेंट्स की हाजिरी पूरी होने पर ही परीक्षा में बैठने देने का नियम है।
डॉ. सिन्हा अपने घर पर विभाग के केबिन की चाबी भी रखते थे। अब उनके निधन के बाद से मेडिकल कॉलेज प्रबंधन केबिन की चाबी प्राप्त नहीं कर सका और कल 17 मई तक अस्पताल में उनके केबिन का ताला नहीं खुलवा सका। इस कारण स्टूडेंट्स रोज वहां जाते और बंद ताला देख लौट आते। इस मामले में उनके द्वारा ताला खुलवाकर रजिस्टर निकलवाने के लिए संबंधित अधिकारियों के समक्ष आवेदन भी दिए गए लेकिन यह कहकर ताला नहीं खोला गया कि वसीयत के मुताबिक ही ताला खोला जाएगा।
लिहाजा 29 अप्रैल से अब तक स्टूडेंट्स की हाजिरी नहीं लग पा रही थी। दरअसल डॉ. सिन्हा अपनी वसीयत में लिख कर गए थे कि उनकी केबिन का ताला उनकी पत्नी, बेटे और प्राचार्य तथा मेडिकल कॉलेज के स्टाफ के समक्ष ही खोला जाए। उधर स्टूडेंट्स की परेशानी यह थी कि परीक्षाएं 30 मई से प्रारंभ होने वाली हैं। ऐसे में उनकी अटेंडेंस शार्ट होने का खतरा है।
विदेश में रहते हैं सिन्हा के बेटे
स्टूडेंट्स के मुताबिक प्रबंधन का कहना था कि डा सिन्हा के पुत्र 17 मई को भारत लौट रहे हैं। उनके आने के बाद ही उनसे चाबियां प्राप्त कर विभाग का केबिन उनके समक्ष ही खोला जाएगा। इस मामले में प्रदेश टुडे से चर्चा में प्राचार्य प्रेम ने बताया कि कल देर शाम को डॉ सिन्हा के बेटे आ गए थे। उनकी मौजूदगी में केबिन का ताला खोलकर पंचनामा बनाया गया है और अब गुरुवार से स्टूडेंट्स का हाजिरी रजिस्टर भी उपलब्ध है।