कौशाम्बी
अतीक अहमद के बहनोई डॉ. अखलाक की कार कौशाम्बी के बसेड़ी गांव में कई दिनों तक लावारिस पड़ी रही। ग्रामीणों की सूचना के बाद भी पुलिस नहीं जागी और आखिर लापरवाही पर थानेदार और चौकी इंचार्ज नप चुके हैं। सोमवार को नए सिरे से इसकी जांच शुरू हो गई। कार को कौन लेकर गांव में पहुंचा। शूटरों ने इस्तेमाल किया या फिर अतीक के रिश्तेदार यह जांच के बाद स्पष्ट होगा। एसपी कौशाम्बी ने सीओ चायल को हटा दिया है।
दो दिन बाद पुलिस ने कार दाखिल किया
बताया जा रहा है कि चार मार्च को ही कौशाम्बी के बसेड़ी गांव में डॉ. अखलाक की कार लावारिस हालत में मिली थी। ग्रामीणों ने हर्रायपुर चौकी इंचार्ज केके यादव को कार के बारे में जानकारी दी। नंबर प्लेट में एक नंबर स्पष्ट नहीं था लेकिन इतना पता चल गया था कि कार मेरठ की है। पुलिस को पहले लगा कि चोरी की कार यहां पर ठिकाने लगाई गई है। पुलिस ने शक के आधार पर कई संदिग्धों को पकड़ा, लेकिन पता नहीं चला। आखिर में छह मार्च को पुलिस ने डॉ. अखलाक की कार को लावारिस में दाखिल कर दिया। एक महीने के बाद भी यह पता नहीं लगाया कि कार किसकी है और यहां कैसे पहुंची। बीते रविवार को एसटीएफ के खुलासे पर थानेदार और चौकी इंचार्ज की लापरवाही सामने आई और दोनों निलंबित कर दिए गए।
अतीक की बहन बोली थी कार से पहुंचे थे
इस प्रकरण में सोमवार को एक और जानकारी सामने आई। पता चला कि अतीक अहमद की बहन आयशा नूरी ने बयान दिया था कि फ्लाइट का टिकट न मिलने पर वह अपने परिवार के साथ कार से ही अशरफ की ससुराल हटवा पहुंची थी। बताया जा रहा है कि वही कार कौशाम्बी में लावारिस हालत में मिली थी। उस बीच उमेश पाल हत्याकांड में फरार शूटरों के अशरफ की ससुराल में छिपे होने की सूचना पर पुलिस ने वहां पर छापामारी की थी। उस वक्त संदिग्ध डॉ. अखलाक की कार लेकर भाग निकले और पुलिस से बचने के लिए गांव में कार छोड़ दी थी। इस एंगल पर भी पुलिस और एसटीएफ जांच कर रही है।