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शाही स्वागत के बाद अमेरिका की बड़ी डिमांड, रूसी तेल खरीदने पर बाइडेन ने रखी शर्त, मानेंगे मोदी?

अमेरिका
 भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शाही स्वागत करने के बाद रूसी तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने भारत के सामने बड़ी शर्त रख दी है। व्हाइट हाउस ने कहा है, कि संयुक्त राज्य अमेरिका को उम्मीद करता है, कि भारत रूस से जो भी तेल खरीदेगा, वह ग्रुप ऑफ सेवन के प्राइस कैप द्वारा निर्धारित दर पर या उससे नीचे होगा। अमेरिका के स्ट्रैटजिक कम्युनिकेशंस के एनएससी कॉर्डिनेटर जॉन किर्बी ने कहा, कि "भारत को (रूसी) तेल खरीद के बारे में अपनी पसंद खुद बनानी होगी और हमें उम्मीद है, कि हम यह देखना जारी रख सकते हैं कि वे मूल्य सीमा पर या उससे नीचे रूसी तेल खरीदें, जैसा कि वे करते रहे हैं।"

 आपको बता दें, कि पिछले साल 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद मानो यूरोपीय देशों ने एक के बाद एक रूस पर प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए। अमेरिका के नेतृत्व में यूरोपीय देश, रूस के ऊपर दर्जनों सख्त प्रतिबंध लगा चुके हैं, रूस को इंटरनेशनल मनी ट्रांसफर सिस्टम से बाहर किया जा चुका है और यूरोपीय देशों ने पिछले साल के खत्म होते होते, ना सिर्फ रूसी तेर पर प्रतिबंध लगा दिया, बल्कि रूसी तेल पर प्राइस कैप भी लगा दिया गया। ये प्राइस कैप 60 डॉलर प्रति बैरल का है। यानि, 60 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा की कीमत पर कोई भी देश अगर रूस से तेल खरीदता है, तो वो जी7 के प्राइस कैप का उल्लंघन होगा।

 यानि, अमेरिका चाहता है, कि भारत भी इसी प्राइस कैप को माने और रूस से 60 डॉलर प्रति बैरल से कम कीमत पर तेल खरीदे। वहीं, ताजा रिपोर्ट से पता चला है, कि वित्तवर्ष 2022-23 में भारत ने रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चे तेल का आयात किया है और अब रूस, भारत को तेल बेचने के मामले में नंबर-1 पर पहुंच चुका है। कई थिंक टैंक रिपोर्ट में कहा गया है, कि भारतीय तेल कंपनियां कम कीमत पर रूसी तेल खरीदती हैं, लिहाजा भारतीय रिफाइनरियों के उत्पादन और मुनाफे में भी रिकॉर्ड इजाफा हुआ है, जिससे वो रिफाइंड तेल को यूरोपीय बाजारों में बेचने के लिए किसी भी विदेशी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो गये हैं।

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