
इस्लामाबाद, प्रेट्र। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की प्रधानमंत्री इमरान खान से टेलीफोन पर संपर्क करने की अनिच्छा से पाकिस्तान परेशान हो गया है और इसे अपनी बेइज्जती मान रहा है। छह महीने बीतने के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने आश्वासन देने के बावजूद पीएम इमरान खान को फोन नहीं किया। अब पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर अमेरिकी नेता देश के नेतृत्व की अनदेखी करते रहे तो इस्लामाबाद के पास अन्य विकल्प हैं। ज्ञात हो कि पिछले दिनों अमेरिका के दौरे पर गये पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद यूसुफ से वहां के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने मुलाकात तक नहीं की।
इमरान खान और जो बाइडन में नहीं हो सकी बातचीत
डॉन अखबार के मुताबिक, मोईद यूसुफ ने लंदन के फाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने इतने महत्वपूर्ण देश के प्रधानमंत्री से बात नहीं की है। जो खुद अमेरिका कहता है कि कुछ मामलों में संबंध बनाओ या तोड़ो। कुछ मायनों में अफगानिस्तान में हम उनके इशारे को समझने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने विस्तार में जाने से इनकार करते हुए कहा कि हमें हर बार कहा गया है कि …(फोन कॉल) होगा, यह तकनीकी कारण है या जो भी हो, लेकिन स्पष्ट रूप से लोग इस पर विश्वास नहीं करते हैं। अगर एक फोन कॉल विशेष सुविधा है, अगर सुरक्षा संबंध एक विशेष सुविधा है तो पाकिस्तान के पास भी विकल्प हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग ने पाकिस्तान को दिया आश्वासन
हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग ने इस्लामाबाद को आश्वासन दिया है कि वाशिंगटन अफगानिस्तान में शांति बहाल करने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानता है और चाहता है कि इस्लामाबाद इसमें भूमिका निभाए। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि पाकिस्तान के पास हासिल करने के लिए बहुत कुछ है और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा और रिजल्ट आने के लिए समर्थन की भूमिका निभाने के लिए अच्छी तरह से तैनात होगा।
उन्होंने कहा कि हम इस पर काम करना जारी रखेंगे और अपने पाकिस्तानी सहयोगियों के साथ निकटता से संवाद करेंगे। लेकिन द फाइनेंशियल टाइम्स ने मंगलवार को बताया कि यूसुफ ने राष्ट्रपति बाइडेन की प्रधानमंत्री इमरान खान से संपर्क करने में विफलता के बारे में शिकायत की, क्योंकि अमेरिका ने तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा करने से रोकने के लिए मदद मांगी थी।
अफगानिस्तान में तालिबान की मदद से नाराज है अमेरिका
रिपोर्ट में कहा गया है कि वाशिंगटन तब सुन्न रह गया, जब तालिबान ने अमेरिकी सेना हटने के बाद एक क्रूर हमले में अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इसमें पाकिस्तान की बड़ी भूमिका है। वह तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों का खुलकर सहयोग कर रहा है। ब्रिटिश अखबार ने कहा कि यूसुफ ने अपने विकल्पों के बारे में विस्तार से नहीं बताया। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान ने चीन के साथ गहरे संबंध बनाए हैं, जिसने अपनी सीपीईसी परियोजना के तहत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अरबों डॉलर का का निवेश किया है।
बाइडेन प्रशासन के एक अधिकारी ने अखबार को बताया कि अभी भी वैश्विक स्तर पर कई नेता हैं, जिनसे राष्ट्रपति बाइडेन अभी तक व्यक्तिगत रूप से बात नहीं कर पाए हैं। वह सही समय पर प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ बात करने के लिए उत्सुक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकी संगठन अल कायदा द्वारा न्यूयार्क में 9/11 के हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के दौरान उनके सहयोग के बाद अमेरिका और पाकिस्तान संबंधों में राजनयिक टकराव के रूप में नवीनतम झटका था।
ट्रंप ने की थी पाकिस्तान की आर्थिक सहायता में कटौती
आतंकवाद पर कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान लंबे समय से अमेरिका से आर्थिक सहयोग लेता रहा। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर झूठ और छल के अलावा कुछ नहीं करने का आरोप लगाया था। इसके बाद अमेरिका ने पाक को सुरक्षा सहायता में 2 बिलियन अमरीकी डालर की जबरदस्त कटौती की थी। पाकिस्तान की मदद से तालिबान के साथ एक समझौते करने के बाद ट्रंप ने इमरान खान को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था।
अफगानिस्तान के हालात को लेकर अमेरिका और पाकिस्तान में हुई थी बात
मोईद यूसुफ और उनके अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन के बीच पिछले हफ्ते हुई बातचीत हुई थी। बैठक को लेकर जानकार शख्स ने कहा कि राजनीतिक समझौता हासिल को लेकर अफगानिस्तान के बारे में बातचीत कठिन रही है, लेकिन बातचीत के जरिए नाटकीय रूप से अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों को सुधारने में मदद मिल सकती है। यूसुफ और सुलिवन ने अफगानिस्तान में हिंसा में कमी को लेकर राजनीतिक समझौते की तत्काल आवश्यकता पर चर्चा की।