
इस्लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात के लिए सीधे-सीधे अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया। अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य हमले और फिर कमजोर राजनीतिक हालात में बाइडेन प्रशासन के राजनीतिक समाधान की तलाश करने के लिए तालिबान से समझौते के प्रयास पर सवाल भी उठाया। कहा कि अमेरिका ने वास्तव में अफगानिस्तान में गड़बड़ कर दिया है। इमरान खान ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति का एकमात्र अच्छा समाधान एक राजनीतिक समझौता है जो समावेशी हो, जिसमें तालिबान सहित सभी गुट शामिल हों।
अमेरिका के लिए तालिबान से समझौता करना बहुत मुश्किल
डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार रात को अमेरिकी समाचार कार्यक्रम पीबीएस न्यूज आवर पर जूडी वुड्रूफ के साथ एक साक्षात्कार के दौरान इमरान खान ने कहा कि मुझे लगता है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में वास्तव में इसे गड़बड़ कर दिया है। इमरान खान ने कहा कि अमेरिका को अब अहसास हुआ है कि अफगानिस्तान का कोई सैन्य समाधान नहीं है, लेकिन दुर्भाग्य से अमेरिकियों अथवा नाटो ने सौदेबाजी की ताकत खो दी है। अमेरिका को उस समय समझौता करना चाहिए था, जब अफगानिस्तान में उसके सैनिकों की संख्या 10 हजार थी, लेकिन अब अमेरिका के लिए तालिबान से समझौता करना बहुत मुश्किल है।
इमरान खान ने यह टिप्पणी ऐसे समय की गई, जब अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी अंतिम चरण में है। विदेशी सैनिकों के बाद से अफगानिस्तान में तालिबान तेजी से मजबूत हुआ है। उसने अफगानिस्तान के काफी बड़े हिस्से पर कब्जा करने को दावा किया है। कई इलाकों में अफगान सेना अपना कब्जा बहाल करने के लिए तालिबान से जूझ रही है। अफगानिस्तान के मौजूदा हालात और भविष्य में क्षेत्र में आतंकियों की भूमिका बढ़ने को लेकर भारत समेत सभी पड़ोसी मुल्क चिंतित हैं।
तालिबान की मदद के आरोप को खारिज किया
तालिबान को पाकिस्तान की तरफ से सैन्य और आर्थिक मदद मुहैया कराने के आरोप पर इमरान खान ने कहा कि यह बहुत ही अनुचित आरोप है। इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी जंग में 70 हजार पाकिस्तानी मारे गए, जबकि न्यूयॉर्क में 9/11 हमले से पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं था। अमेरिका के वर्ल्ड सेंटर पर अटैक में कोई भी पाकिस्तानी शामिल नहीं था। उस समय अल-कायदा और तालिबान का कोई भी आतंकी पाकिस्तान में नहीं था। इमरान खान ने कहा कि अमेरिका में हमले से पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन अफसोजनक बात है कि अफगानिस्तान में युद्ध के चलते पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 150 बिलियन डॉलर की चपत लगी।
पाकिस्तान को भुगतना पड़ेगा गृहयुद्ध का खामियाजा
इमरान खान ने अफगानिस्तान में गृह युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान के लिए खड़ा होने वाले संकट का भी जिक्र किया। इमरान खान ने कहा कि अगर अफगानिस्तान में गृह युद्ध छिड़ता है तो यह पाकिस्तान के लिए सबसे खराब स्थिति होगी। शरणार्थियों की समस्या बढ़ेगी। पहले से ही पाकिस्तान में 30 लाख से अधिक अफगानिस्तान के शरणार्थी हैं।
उन्होंने कहा कि हमें जिस बात का डर है वह यह है कि अगर एक लंबा गृहयुद्ध छिड़ता है तो शरणार्थी समस्या और बढ़ेगी। हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि हम और शरणार्थियों को झेल सकें। दूसरी समस्या के बारे में बताते हुए इमरान खान ने चिंता जाहिर की कि अफगानस्तिान में संभावित गृहयुद्ध का खामियाजा पाकिस्तान को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा, तालिबान पश्तून हैं और अगर यह सब (अफगानिस्तान में गृह युद्ध और हिंसा) जारी रहा, तो हमारी तरफ के पश्तून इसमें शामिल हो जाएंगे।