रोटी बेलते समय वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ विशेष नियमों का पालन करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। यहां कुछ वास्तु नियम दिए गए हैं, जिन्हें रोटी बेलते समय ध्यान में रखना चाहिए:
मुख की दिशा: रोटी बेलते समय हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बेलें। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और खाने के स्थान पर अच्छे परिणाम प्राप्त करने में मदद करती है। दक्षिण या पश्चिम दिशा में रोटी बेलने से नकारात्मक ऊर्जा का असर पड़ सकता है।
रोटी बेलने का स्थान: रोटी बेलने के लिए रसोई में एक साफ और व्यवस्थित स्थान चुनें। यदि रसोई में जगह कम हो तो कोशिश करें कि आप रोटी बेलते समय आसपास के स्थान को साफ रखें क्योंकि गंदगी से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
चूल्हे के पास नहीं: रोटी बेलने की प्रक्रिया चूल्हे या गैस स्टोव के पास नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, एक अलग स्थान पर रोटी बेलने का प्रयास करें, ताकि रोटी बेलने और पकाने की प्रक्रिया में अंतर रहे।
रोटियां न फेंकें: रोटी बेलते समय रोटियां फेंकने की आदत न डालें। रोटी को हमेशा धीरे-धीरे और प्यार से बेलें। फेंकने से घर में अशांति और व्यर्थ की ऊर्जा का संचार हो सकता है।
नौकरी और व्यवसाय में सफलता के लिए: यदि आप नौकरी या व्यवसाय में सफलता की कामना करते हैं तो रोटी बेलते समय अपनी सोच को सकारात्मक रखें। यह आपके जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करेगी।
सकारात्मक सोच और भावना: रोटी बेलते समय अपने मन में अच्छे विचार रखें और परिवार के लिए अच्छा और स्वादिष्ट भोजन बनाने का ध्यान रखें। यह कार्य प्रेम और सकारात्मकता के साथ करें ताकि घर में प्रेम और शांति बनी रहे।
खाने का सामान: रोटी बेलने में जो आटा इस्तेमाल कर रहे हैं, वह ताजे आटे से हो, जो शुद्ध और बिना मिलावट के हो। आटे के सही और ताजे होने से घर में समृद्धि का आना सुनिश्चित होता है।
रोटियां बराबरी से बेलें: रोटियां बेलते समय उनकी समान आकार में बेलने की कोशिश करें। अगर रोटियां समान आकार की होंगी, तो यह घर में संतुलन और सामंजस्य का प्रतीक माना जाता है।
रोटी बेलते समय अकारण हंसी न करें: वास्तु शास्त्र के अनुसार, रोटी बेलते समय ज्यादा हंसी या शोर नहीं करना चाहिए। इसे एक शांत और सुकून भरे माहौल में करें। यह खाने की गुणवत्ता और घर के वातावरण को सकारात्मक बनाए रखने में मदद करता है।