नईदिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की सशस्त्र बल में भर्ती से जुड़ी अग्निपथ योजना को सही ठहराने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली दो याचिकाएं सोमवार को खारिज कर दीं। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की एक पीठ ने कहा कि अग्निपथ योजना की शुरूआत से पहले रक्षा बलों में शारीरिक तथा चिकित्सकीय जांच सहित विभिन्न भर्ती प्रक्रियाओं के माध्यम से चुने गए अभ्यर्थियों को नियुक्ति का अधिकार नहीं है।
हम हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे
पीठ ने कहा ‘‘क्षमा कीजिए, हम उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। उच्च न्यायालय ने सभी पहलुओं पर गौर किया है।'' इसके साथ ही पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दाखिल की गई दो याचिकाओं को खारिज कर दिया। ये याचिकाएं गोपाल कृष्ण और अधिवक्ता एमएल शर्मा ने दाखिल की थीं। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने अग्निपथ योजना शुरू होने से पहले भारतीय वायु सेना में भर्ती प्रक्रिया से संबंधित एक अन्य याचिका को 17 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
हाईकोर्ट ने अग्निपथ योजना को राष्ट्र हित में बताया था
पीठ ने केंद्र से भारतीय वायुसेना में भर्ती से संबंधित तीसरी याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। शीर्ष अदालत ने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र की योजना को सही ठहराने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 27 मार्च को सहमति जताई थी। उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी को कहा था कि अग्निपथ योजना राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के सराहनीय उद्देश्य के साथ राष्ट्र हित में तैयार की गई है।