अलीगढ़
अलीगढ़ वालों के लिए अच्छी खबर है। जी हां, अलीगढ़ से सटे गंगा क्षेत्र सांकरा में डॉल्फिन पाई गई हैं। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया व राज्य वन विभाग की संयुक्त टीम ने सांकरा घाट से लेकर कासगंज जिले के कछला घाट तक डॉल्फिन आकलन सर्वेक्षण पूरा किया है। सर्वे में दोनों जनपदों से गुजरने वाली गंगा में इस मछली होने की पुष्टि हुई है। यह इस बात का भी संकेत है कि गंगा प्रदूषणमुक्त हो रही है।
अलीगढ़ जिले में करीब 17 किलोमीटर के क्षेत्र से होकर गंगा नदी बहती है। बीते साल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सहयोग से नरौरा व सांकरा के बीच नौ किलोमीटर क्षेत्र में डॉल्फिन का आकलन किया गया था। सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर अब जलीय जीवों का संरक्षण किया जाएगा। वन विभाग के मुताबिक गंगा नदी में डाल्फिन की उपस्थिति मिलना अच्छी बात है। सांकरा क्षेत्र में बह रही गंगा नदी में दो डॉल्फिन पाई गईं हैं।
ऐसे किया गया सर्वे
डीएफओ दिवाकर वशिष्ठ ने बताया कि गंगा में डॉल्फिन होने का पता लगाने के लिए सोनोग्राफी की जाती है। दरअसल डॉल्फिन देख नहीं सकती है, वह अल्ट्रासोनिक किरणें फेंककर अपनी दिशा तय करती है। सोनोग्राफी के जरिये इन्हीं तरंगों को पकड़ा जाता है। इसके लिए जीपीएस की भी मदद ली जाती है।
बिजनौर बैराज से कानपुर तक हुई थी डॉल्फिन गणना
गंगा में डॉल्फिन की गणना का कार्य बीते साल किया गया था। यह सर्वे बिजनौर बैराज से कानपुर तक हुआ था। तब विशेषज्ञों की टीम गंगा में स्टीमर से गई थी।
पहली बार अतरौली क्षेत्र में कछुआ प्रजनन केन्द्र की स्थापना की गई
वन विभाग व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सर्वे के बाद अब जलीय जीवों के संरक्षण पर कार्य होगा। जलीय जीवों के संरक्षण के लिए अब अलग-अलग चरणों में कार्य होना है। जिसमें कछुआ प्रजनन केन्द्र अतरौली के गनेशपुर गंग में बनाए गए हैं। यहां बने छोटे-छोटे घोंसलों में कछुओं के अंडे रखे जाएंगे।
डीएफओ, दिवाकर वशिष्ठ ने कहा कि सांकरा क्षेत्र में बह रही गंगा नदी में दो डॉल्फिन मछली मिली हैं। यह अच्छे संकेत हैं। अब मछुआरों से इसे बचाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। सुरक्षित रहने से इनकी संख्या में भी इजाफा संभव है।