उत्तर प्रदेश

अस्पतालों का बिछ रहा जाल पर डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी यूपी सरकार के लिए बड़ी चुनौती

यूपी
 

यूपी में बीते कुछ सालों में स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचे को मजबूत करने के लिए काफी कुछ हुआ है। हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही हजारों स्वास्थ्य उपकेंद्र बनाए गए हैं। कोरोना में पैदा हुए ऑक्सीजन संकट को दूर करने के लिए हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं। मगर फिर भी इतनी बड़ी आबादी वाले प्रदेश में डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी प्रदेश सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।

प्रदेश सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट-वन मेडिकल कॉलेज, योजना शुरू की है। इसके तहत 45 मेडिकल कॉलेज बन गए हैं। 14 मेडिकल कॉलेजों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई है। जबकि 16 जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज बनाने की कवायद हो रही है। यह सही है कि हर जिले में मेडिकल कॉलेज होने से लोगों को दूर की दौड़ नहीं लगानी होगी। मगर बिना विशेषज्ञ चिकित्सकों के यह मेडिकल कॉलेज सरकार की मंशा को मूर्त रूप नहीं दे पाएंगे। इतना ही नहीं अच्छे चिकित्सा शिक्षकों के अभाव में नये डॉक्टरों की अच्छी नस्ल भी तैयार होने का संकट है। हालांकि प्रदेश में 1838 सरकारी तथा 1750 निजी क्षेत्र की एमबीबीएस सीटें बढ़ाई गई हैं। जबकि सरकारी और निजी क्षेत्र में पीजी की 1443 सीटें बढ़ी हैं।

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स्वीकृत पदों में से एक तिहाई खाली
मेडिकल कॉलेजों के अलावा 100 शैय्या के 5 संयुक्त चिकित्सालय, 09 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 14 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण कराया गया है। आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में 18382 सरकारी डॉक्टरों के स्वीकृत पद हैं। करीब 12 हजार डॉक्टर सेवा में हैं और 6000 से अधिक पद खाली हैं। रही बात 1000 लोगों पर एक डॉक्टर के मानक की तो प्रदेश में प्रति 19 हजार लोगों पर एक सरकारी डॉक्टर है। वहीं विशेषज्ञ चिकित्सकों के 85 फीसदी से अधिक पद खाली हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को काफी कुछ हुआ
-प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं में पिछले एक दशक में ढांचागत सुविधाएं विकसित करने की दृष्टि से काफी बदलाव आया है।
-करीब 21 हजार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं, जिसमें से करीब 18 हजार संचालित हैं।
-18 हजार कम्यूनिटी हेल्थ ऑफीसरों की भर्ती की गई है।
-टेलीमेडिसिन के जरिए स्वास्थ्य उपकेंद्रों को भी बड़े अस्पतालों से जोड़कर विशेषज्ञ डॉक्टरों से इलाज की सुविधा शुरू की गई है।
-पीएचसी व स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर हेल्थ एटीएम लगाए जा रहे हैं।
-2382 विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती लोक सेवा आयोग के जरिए कराई जा रही है।
-राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 5 लाख रुपये तक वेतन पर संविदा पर 1190 चिकित्सकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।

 

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