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भारत में मजबूत मांग और चीन का महामारी से उबरना इस वर्ष एशिया में मजबूत आर्थिक वृद्धि के कारक बनेंगे। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने जारी एक रिपोर्ट में यह कहा। इसमें कहा गया कि एशिया इस वर्ष तथा अगले वर्ष 4.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा जो 2022 के 4.2 प्रतिशत से अधिक है।
एडीबी ने हालिया अनुमान में कहा कि इस वर्ष मुद्रास्फीति में कमी आने के आसार हैं और यह 2024 में और भी कम होगी। हालांकि संस्थान के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि तेल उत्पादक देशों द्वारा उत्पादन में कमी के फैसले की वजह से तेल के दामों में तेजी आ सकती है जिससे मुद्रास्फीति का दबाव और बढ़ेगा जो क्षेत्र के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है।
रिपोर्ट का विश्लेषण इस अनुमान पर आधारित है कि ब्रेंट क्रूड तेल इस वर्ष 88 डॉलर प्रति बैरल और अगले वर्ष 90 डॉलर प्रति बरैल रहेगा। तेल के दाम इस स्तर के नीचे ही बने हुए थे, सोमवार को यह 83 डॉलर प्रति बैरल था। लेकिन सऊदी अरब समेत प्रमुख तेल उत्पादक देशों द्वारा उत्पादन में कमी करने की घोषणा के बाद दामों में पांच प्रतिशत की तेजी आई।
एडीबी में मुख्य अर्थशास्त्री अल्बर्ट पार्क ने कहा, ‘‘तेल के दाम और भी बढ़ सकते हैं जो क्षेत्र के लिए एक और चुनौती खड़ी करेगा।’’ उन्होंने कहा कि एशिया में मुद्रास्फीति माल के बजाए पर्यटन जैसी सेवाओं की बढ़ती मांग पर अधिक निर्भर करेगी। दामों में तेजी लाने वाला अन्य कारक होगा चीन का धीमी वृद्धि से तेजी वृद्धि की ओर बढ़ना क्योंकि वहां कोविड-19 पाबंदियां दूर हो गई हैं।
एडीबी का अनुमान है कि चीन की अर्थव्यवस्था इस वर्ष पांच प्रतिशत और अगले वर्ष 4.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। पिछले वर्ष यह तीन प्रतिशत रही थी। हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था के इस वर्ष 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। 2021 में यह आंकड़ा 9.1 प्रतिशत और पिछले वर्ष 6.8 प्रतिशत था।