छत्तीसगढ़

रोजा, इबादत और परहेजगारी में गुजर रहा रमजान का महीना

भिलाई

रमजान के इस पाक महीने में इबादतों में बढ़ोतरी के साथ अल्लाह को राजी करने मुस्लिम समुदाय में लोग रोजा रखने का फर्ज पूरा कर रहे हैं। बुजुर्ग,नौजवान, महिलाएं और बच्चों सहित सभी वर्ग में पाक (पवित्र) माह की बड़ी अजमत देखने मिल रही है। जोन 3 खुसीर्पार निवासी गजाला हबीब कुरैशी और कहकशा अजीम बतातीं है कि सेहरी और अफ्तार बनाने के साथ महिलाओं को इस मुबारक महीने में खास नमाज तरावीह पढ?ा, जिÞक्र करना और कुरान की तिलावत करने में ज्यादा वक्त लगाना चाहिए।

खुसीर्पार जोन 2 निवासी नूरूस सबा, रिजवाना जुनैद,नफीस ,नसरीन और अहफाज मानते हैं कि रजा ए इलाही (अल्लाह) को पाने के लिए एक महीना अपने को हुक्मे खुदावंदी पर ला लेने से आगामी 11 माह भी ऐसे नेक काम ओर आमाल करने की तौफीक अल्लाह दे देते हैं। रूआबांधा निवासी आरिफा इकबाल, इंजीनियर सबा शोएब का कहना है कि रमजान मुबारक गमखारी का महीना है। इसमें गरीबों, यतीमों ,बेवा,मिस्कीन और मुसाफिर के लिए अपनी सहरी ओर इफ्तार में हिस्सा लगाना चाहिए। क्योंकि प्यारे नबी हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहिस्सलाम ने इस महीने की अहमियत पर बताया कि जो कोई रोजेदार का इफ्तार कराए अल्लाह उसके गुनाहों को माफ कर देता है।

रोजेदार के बराबर सवाब (पुण्य) देता है और उस रोजेदार के सवाब में कमी नहीं करता है। सहाबा रजि अल्लाह अन्हु ने कहा ए अल्लाह के नबी (दूत) हममें हर कोई इतना मालदार (पैसे वाला) नहीं है, जो रोजा अफ्तार कराए। प्यारे नबी ने फ?माया- जरूरी नहीं कि पेट भर खिलाने पर सवाब मिलेगा।

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