विदेश

भारत की हजारो साल पुरानी 15 अनमोल धरोहरों को लौटाएगा US

न्यूयॉर्क
अमेरिका का प्रतिष्ठित मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट भारत को 15 मूर्तियां लौटाएगा। उसने यह कदम तब उठाया है, जब उसे पता चला है कि ये मूर्तियां भारत से गैरकानूनी तरीके से अमेरिका लाकर बेची गई थीं।

संग्रहालय ने एक बयान में कहा कि वह 15 मूर्तियां भारत सरकार को लौटाएगा। इनमें पहली शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 11वीं ईसवी की मूर्तियां शामिल हैं, जो टेराकोटा, तांबा और पत्थर से बनी हैं।

ये सभी मूर्तियां कुख्यात डीलर सुभाष कपूर ने बेची थीं, जो अभी भारत में जेल की सजा काट रहा है।

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बयान में कहा गया है, ‘‘संग्रहालय पुरातात्विक कला वस्तुओं को जिम्मेदार तरीके से अधिग्रहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। संग्रहालय संदिग्ध डीलरों से मिली प्राचीन वस्तुओं के इतिहास की सक्रियता से समीक्षा कर रहा है। वह भारत सरकार के साथ अपने दीर्घकालीन संबंधों को काफी अहमियत देता है और इस मामले को सुलझाना चाहता है।’’

इसमें कहा गया है कि संग्रहालय ने 2015 में कपूर से खरीदी गई वस्तुओं के बारे में डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी से संपर्क किया था और उसे मैनहट्टन जिला अटॉर्नी के कार्यालय द्वारा ‘‘सुभाष कपूर के खिलाफ की गई आपराधिक जांच के परिणामस्वरूप आज इस मामले में कार्रवाई करके बहुत खुशी हो रही है।’’

म्यूज़ियम का क्या कहना है?

न्यायिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 22 मार्च को न्यूयॉर्क के सुप्रीम कोर्ट ने मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट (Met) के खिलाफ एक सर्च वारंट जारी किया। मेनिन ने न्यूयॉर्क पुलिस विभाग या डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी के किसी भी एजेंट को पुरावशेषों को जब्त करने और उन्हें “बिना अनावश्यक देरी के अदालत के सामने लाने” के लिए 10 दिन का समय दिया है।

 

30 मार्च को मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ आर्ट (Met) ने एक बयान जारी किया, “यह जानने के बाद की मूर्तियों को भारत से अवैध रूप से लाया गया है, उन्हें भारत सरकार को वापस किया जाएगा। इन सभी आर्ट्स को एक समय पर सुभाष कपूर ने बेचा था, जो वर्तमान में भारत के जेल में सजा काट रहा है।” बता दें कि कुख्यात सुभाष कपूर 77 भारतीय एंटीक्स की तस्करी से जुड़ा हुआ है। वह फिलहाल तमिलनाडु की जेल में बंद है।

सर्च वारंट में सूचीबद्ध 15 भारतीय पुरावशेषों का मूल्य 1.201 मिलियन डॉलर (लगभग 9.87 करोड़ रुपये) आंका गया है। सर्च वारंट में कहा गया है कि ये सामान चोरी हो गया था और चोरी की संपत्ति पर कब्जा करने जैसे अपराधों का सबूत बनता है। यह अमेरिकी दंड कानून के तहत अपराध है।

जांच में क्या पाया था?

इस साल 14 मार्च और 15 मार्च को प्रकाशित द्वारा इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) और यूके स्थित फाइनेंस अनकवर्ड के सहयोग से की गई एक जांच से पता चला था कि मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ आर्ट (Met) के कैटलॉग में कम से कम ऐसे 77 एंटीक आइटम हैं, जिनका लिंक सुभाष कपूर है। उन 77 में से 59 पेंटिंग है। कपूर पुरावशेषों की तस्करी के मामले में तमिलनाडु के त्रिची सेंट्रल जेल में 10 साल की जेल की सजा काट रहा है।

कब पकड़ा गया था सुभाष कपूर?

सुभाष कपूर को 30 अक्टूबर, 2011 को फ्रैंकफर्ट में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद जुलाई 2012 में उसे भारत में प्रत्यर्पित किया गया था। 1 नवंबर, 2022 को तमिलनाडु के कुंभकोणम की एक अदालत ने कांचीपुरम के वरदराज पेरुमल मंदिर में सेंधमारी और मूर्तियों के अवैध निर्यात के आरोप में कपूर को 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी। वह वर्तमान में त्रिची जेल में अपनी सजा काट रहा है।

कपूर पर अमेरिका के साथ-साथ एशिया से मूर्तियों और कलाकृतियों की तस्करी के आरोप हैं। जुलाई 2019 में होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेशन (HSI) द्वारा न्यूयॉर्क की एक अदालत में दायर एक शिकायत में कहा गया था, “कपूर द्वारा तस्करी की गई चोरी की गई प्राचीन वस्तुओं का कुल मूल्य $145.71 मिलियन से अधिक है।”

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