गोरखपुर
पूर्वी उत्तर प्रदेश में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) के वायरस में एक बार फिर बदलाव आया है। सिर्फ तेज बुखार से जूझ रहे मासूमों में भी जेई की पुष्टि हो रही है। दो दर्जन से ज्यादा केस आने के बाद रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) ने रिसर्च का फैसला किया है। गोरखपुर मंडल में इस साल जेई 25 मामले महराजगंज में सामने आए हैं जिसमें 22 को सिर्फ तेज बुखार था। उन्हें झटका, मतिभ्रम या बेहोशी नहीं हुई।
लक्षणों में बदलाव के बाद शोध को लेकर कवायद शुरू हो गई है। महराजगंज के सात बच्चों के नमूनों की आरएमआरसी में जांच होगी। कुशीनगर में दो और देवरिया में ऐसे छह केस केस मिले हैं। गोरखपुर में अब तक जेई का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। बच्चों को न झटका आया न हुई बेहोशी बताया जाता है कि महाराजगंज में सामने आए जेई के मामले में लक्षण चौंकाने वाले हैं। जेई की पुष्टि के ज्यादातर मामलों में बच्चों को झटका और बेहोशी नहीं आया है। जो कि इंसेफलाइटिस के प्रमुख लक्षणों में शामिल है। इतना ही नहीं जेई पीड़ित बच्चे मानसिक भ्रम के भी शिकार नहीं है।
एलाइजा से ज्यादा सटीक है आरटीपीसीआर जांच
आरएमआरसी निदेशक ने बताया कि महराजगंज में जेई की जांच एलाइजा विधि से की गई होगी। उसकी रिपोर्ट में चूक की आशंका भी रहती है। इसकी वजह वायरस की क्रॉस रिएक्टिविटी होती है। आरटीपीसीआर जांच में रिएक्टिविटी नहीं होती। इस वजह से आरटीपीसीआर जांच ज्यादा सटीक है। आरएमआरसी के निदेशक डॉ. रजनीकांत ने बताया कि विश्व में कई वायरस अपने स्वरूप में बदलाव कर रहे हैं। जेई भी एक वायरस है। उसके स्वरूप में बदलाव होने पर लक्षण बदल जाएंगे। इस मामले में कई तथ्य सामने आ सकते हैं। इसकी विस्तृत जांच जरूरी है।
इंसेफलाइटिस नहीं, इसे कहेंगे जेई फीवर
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. केपी कुशवाहा ने बताया कि इसे इंसेफलाइटिस नहीं कहेंगे। यह जापानी इंसेफेलाइटिस के वायरस के संक्रमण के कारण होने वाला बुखार है। जांच रिपोर्ट से यह साफ है कि बच्चे संक्रमित हुए थे लेकिन अभी उन पर संक्रमण का गहरा असर नहीं हुआ है। इस वजह से बच्चों को लक्षण में सिर्फ बुखार आ रहा है। इसे इंसेफेलाइटिस नहीं बल्कि सिर्फ जेई से होने वाला बुखार कह सकते हैं।
की जा रही निगरानी
अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ. आईवी विश्वकर्मा ने बताया कि इस मामले को लेकर निगरानी रखी जा रही है। बालरोग विशेषज्ञ और इंसेफेलाइटिस नियंत्रण से जुड़े विशेषज्ञों की एक विशेष टीम ने महाराजगंज का दौरा किया है।