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जनजातीय युवाओं को मिल रही भरपूर शैक्षणिक सुविधाएं

विभिन्न विभागों ने केंद्र को भेजे प्रस्ताव, विकास कार्य निरंतर जारी

भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार जनजातीय समुदायों के विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। विभिन्न विभागों द्वारा विशेष प्रयास किया जा रहे हैं। कौशल भारत मिशन के अंतर्गत तकनीकी शिक्षा कौशल विकास विभाग द्वारा बैतूल जिले में तीन विकासखण्डों भैंसदेही, आठनेर, बैतूल एवं झाबुआ के राणापुर में शासकीय आईटीआई स्थापित करने के लिए केन्द्र को प्रस्ताव भेजे हैं।

महिला एवं बाल विकास विभाग ने 135 नए आंगनवाड़ी केन्द्रों का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा है। इसके अलावा 2468 सक्षम आंगनवाड़ी केन्द्रों को अपडेट करने का प्रस्ताव भी भेजा गया है। पर्यटन विभाग द्वारा स्वदेश दर्शन योजना में 14 गांवों में 86 ट्राइबल होमस्टे बनाने के लिए नए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं।

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राज्य सरकार के सुनियोजित प्रयासों के फलस्वरूप वर्ष 2022 में मंडला देश का पहला 100% साक्षर जनजाति जिला बन गया था। न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोगाम के अंतर्गत 47 लाख 58 हजार लोगों को साक्षर बनाया गया है। जनजातीय क्षेत्रों में साक्षरता का स्तर सुधारने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य शासन ने पिछले 10 सालों में जनजातीय परिवार के बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए विशेष ध्यान दिया है। पिछले 10 सालों में 2596.90 करोड रुपए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के रूप में 18 लाख 48 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को दिए गए। इसी प्रकार 55 विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय अध्ययन के लिए विदेश भेजने के लिए 18.55 करोड रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई।

जनजाति कार्य विभाग के अंतर्गत प्राथमिक शालाओं, माध्यमिक शालाओं, हाई स्कूल, उच्चतर माध्यमिक, सांदीपनि ने विद्यालयों, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, माता शबरी आवासीय कन्या शिक्षा परिषद, आदर्श आवासीय विद्यालय, आश्रम एवं क्रीड़ा परिसर मिलकर 27 हजार 886 संस्थाएं हैं, जिनमें 22 लाख 18 हजार विद्यार्थी हैं। जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत संचालित संस्थाओं का कक्षा 10वीं एवं 12वीं का औसत परीक्षा परिणाम क्रमश: 83.92 प्रतिशत और 78.72% है।

महाविद्यालय स्तर पर छात्रावास में प्रवेश से वंचित विद्यार्थियों को आवास किराया प्रतिपूर्ति आवास सहायता योजना में की जा रही। राष्ट्रीय संस्थानों जैसे एम्स, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम में प्रवेश लेने पर 25 से 50 हजार तक की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

निरंतर विकास
पीएम जनमन योजना में 9 विभागों की योजनाओं को जनजातीय बहुल जिलों में क्रियान्वित किया जा रहा है। हितग्राही मूलक योजनाओ में 100% लक्ष्य की प्राप्ति कर ली गई। आधार कार्ड, जन धन बैंक खाता, आयुष्मान भारत, जाति प्रमाण पत्र, किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम किसान कल्याण निधि और राशन कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत 21 जिलों के दूरस्थ गांवों में 66 मोबाइल मेडिकल यूनिट संचालित हैं। जनजाति समुदाय के विद्यार्थियों के लिए 16 जिलों में 106 छात्रावास स्वीकृत किए गए हैं। ऊर्जा विभाग द्वारा 26 हजार से ज्यादा घरों में बिजली उपलब्ध कराने का काम पूरा हो गया है और 2000 से ज्यादा घरों में सोलर ऊर्जा के माध्यम से बिजली उपलब्ध कराई गई है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत 1058 जनजातीय बहुल बसाहटों के लिए 2271 किलोमीटर सड़क बनाने का काम चल रहा है। इसके अलावा 1 लाख 78 हजार से ज्यादा पक्का घर दिए गए हैं। हर घर नल से जल योजना के अंतर्गत 83 हजार घरों में नल से जल पहुंच गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 23 जनजाति बहुत जिलों में 704 आंगनवाड़ियां स्वीकृत की गई है। वन विभाग के सहयोग से 83 वन धन विकास केंद्र संचालित है। विभिन्न स्तरों पर बहु उद्देशीय केन्द्रों का निर्माण चल रहा है। दूरस्थ गांव में मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध कराने के लिए 145 टॉवर की स्थापना का काम प्रगति पर है।

धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान में विभिन्न विभागों के सहयोग से जनजाति समुदाय के कल्याण के काम संचालित है। लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में 62 लाख आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। सिकल सेल के उपचार के लिए इंदौर और भोपाल में दो केंद्र स्वीकृत किए गए हैं। आयुष विभाग द्वारा जनजातीय छात्रावास में 157 पोषण वाटिका स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है। टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए 21 हजार से ज्यादा वन अधिकार पट्टाधारकों को विभिन्न योजनाओं का लाभ देने की कार्य योजना बनाई गई।

वन अधिकार अधिनियम एवं पेसा कानून के लिए के बेहतर क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में टास्क फोर्स गठित की गई है। वन गांव को राजस्व गांव में बदलने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में 925 वन ग्राम वन विभाग के प्रबंधन और नियंत्रण में है। जनजाति समुदाय के हित में 827 वन ग्रामों को राजस्व गांव में बदलने का निर्णय लिया गया है। इनमें से 792 को राजस्व गांव में परिवर्तन किया जा चुका है और 789 ग्रामों का गजट नोटिफिकेशन कर दिया गया है।

 

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