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नक्सलियों ने संघर्ष विराम की मांग की, गृहमंत्री शर्मा बोले- वार्ता के लिए तैयार पर कोई शर्त मंजूर नहीं

 रायपुर

छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों की लगातार एनकाउंटर कार्रवाई के बाद नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर संघर्ष विराम की मांग की है। नक्सलियों ने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकार नक्सल ऑपरेशन बंद करने का ऐलान करती है तो वो हथियार छोड़कर शांतिवार्ता के लिये तैयार हैं। अब इस मामले में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा का बयान आया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार नक्सल समस्या के समाधान को लेकर पूरी तरह से गंभीर है। सरकार किसी भी प्रकार की सार्थक वार्ता के लिए तैयार है पर इसके लिए कोई शर्त स्वीकार नहीं है।

 उन्होंने कहा कि यदि नक्सली वास्तव में मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं और बातचीत के लिए इच्छुक हैं, तो उन्हें अपने प्रतिनिधि और वार्ता की शर्तों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना होगा। वार्ता का स्वरूप किसी कट्टरपंथी विचारधारा की तर्ज पर नहीं हो सकता। यदि कोई चर्चा करना चाहता है, तो उसे भारतीय संविधान की मान्यता स्वीकार करनी होगी। उन्होंने कहा किअगर संविधान को नकारते हैं और समानांतर व्यवस्था थोपने की कोशिश करते हैं,तो वार्ता का कोई औचित्य नहीं रहता।

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सरकार की नीति स्पष्ट  है आत्मसमर्पण करें और पुनर्वास पाएं
उपमुख्यमंत्री ने दोहराते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक की सबसे बेहतर पुनर्वास नीति लागू की है। जो भी नक्सली आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, उन्हें इस नीति के तहत सुरक्षा, पुनर्वास और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे। सरकार चाहती है कि जो लोग भटके हुए हैं, वे समाज में वापस आएं और एक व्यवस्थित जीवन जीएं।

संविधान का हर गांव में क्रियान्वयन
डिप्टी सीएम ने बताया कि यदि नक्सली वार्ता को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें अपनी ओर से वार्ता के लिए समिति बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले भी 10 से अधिक बार वार्ता के लिए पहल की, लेकिन नक्सली ही पीछे हटते रहे। अब यदि वे बातचीत करना चाहते हैं, तो उन्हें स्पष्ट प्रस्ताव के साथ आगे आना होगा। सरकार का रुख साफ है।  बातचीत के दरवाजे खुले हैं, लेकिन हिंसा और खूनखराबे पर कोई समझौता नहीं होगा। नक्सलियों को हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण करना होगा, तभी कोई सार्थक समाधान संभव है। उन्होंने कहा कि बीते एक से डेढ़ वर्षों में 40 गांवों में पहली बार तिरंगा फहराया गया है, जहां पहले तक नक्सली कानून थोपने की कोशिश करते थे। अब राज्य के सभी गांवों में तिरंगा लहराना और भारतीय संविधान का पालन करना अनिवार्य है।

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