पूर्वी सिंहभूम।
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में पकड़ी जाने वाली दवाओं को लेकर डीजीपी अनुराग गुप्ता को सख्त निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि नशीली दवाओं के नमूने लेने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाई जाए। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति दीपक रोशन की खंडपीठ ने झारखंड में मादक पदार्थ और नशीली दवाओं की बिक्री को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल निदेशक उपस्थित हुए थे। कोर्ट ने कहा कि नशीली दवाओं को जब्त करने और जांच के दौरान पुलिस ठीक तरीके से सैंपल नहीं लेती है। इससे मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष को दिक्कत होती है। इसके चलते कई बार आरोपी रिहा कर दिए जाते हैं। इस पर हाईकोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिया कि वे मादक पदार्थों और दवाओं के नमूने लेने के लिए सख्त प्रक्रिया तय करें। इसके लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और राज्य सरकार के साथ मिलकर एसओपी बनाएं। अदालत ने पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा में एक वाहन जब्त किए गए 80 से 90 किलोग्राम मारिजुआना मामले का संज्ञान लिया। इस मामले में ठीक तरीके से दवाओं का सैंपल नहीं लिया गया और आरोपियों को बाद में उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई। इसके बाद उच्च न्यायालय ने डीजीपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया था। मामले की सुनवाई अगले साल 20 जनवरी को फिर होगी।
परीक्षा परिणाम पर लगाई थी रोक
इससे पहले झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) के सितंबर में आयोजित भर्ती परीक्षा के अंतिम परिणाम पर रोक लगाई थी। अदालत ने सरकार को आदेश दिया था कि वह सुनिश्चित करे कि उम्मीदवारों की ओर से प्रश्नपत्र लीक की शिकायत पर पुलिस एफआईआर दर्ज करे और जांच करे। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ प्रकाश कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने पुलिस को इस मामले में एक रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया था।