नई दिल्ली.
बैंकों में लोग खून पसीने की कमाई जमा करते हैं। इसकी खोज खबर लेते रहते हैं। लेकिन ऐसे भी ढेरों लोग हैं, जो बैकों में पैसे जमा कर भूल गए हैं। ऐसा भूले कि 10 साल तक खोज खबर ही नहीं ली। ऐसे में भला बैंक भी क्या करे? सार्वजनिक क्षेत्र के या कह लें पब्लिक सेक्टर बैंक (PSB) ने हाल ही में इसी तरह के 35000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम रिजर्व बैंक को दे दी है। इस राशि का बैंकों के पास कोई पूछनहार या दावेदार नहीं था।
रिजर्व बैंक को सौंप दी राशि
केंद्रीय वित्त मंत्राालय ने पिछले दिनों संसद में यह जानकारी दी कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने बीते फरवरी में ही रिजर्व बैंक को 35,012 करोड़ रुपये सौंप दिए। इस राशि का कोई दावेदार नहीं था। लोकसभा में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भगवत कराड (Bhagwat Karad) ने एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अनक्लेम्ड अमाउंट सबसे ज्यादा स्टेट बैंक में है। SBI में 8,086 करोड़ रुपये बगैर दावे वाली राशि के रूप में थी। जबकि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के पास 5,340 करोड़ रुपये और केनरा बैंक (Canara Bank) के पास 4,558 करोड़ रुपये थे।
लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड के एक लिखित जवाब के अनुसार, एसबीआई (SBI) ने सूचित किया है कि वह दावों के सभी मामलों को निपटाने में मृतक के परिवार की सहायता करते है. उन्होंने कहा, मृत ग्राहक के खातों का निपटान एसबीआई द्वारा प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. एसबीआई कर्मचारियों को संवेदनशील बनाया गया है और नियमित आवृत्ति पर बैंकों के सभी प्लेटफॉर्म्स पर निर्देश दोहराए जाते हैं.
क्या होते हैं अनक्लेम्ड डिपॉजिट?
RBI के नियमों के मुताबिक, सेविंग्स या करेंट अकाउंट के बैलेंस अमाउंट जिसे 10 साल में कभी ऑपरेट नहीं किया गया हो, या फिर ऐसे टर्म डिपॉजिट जिनक मैच्योर होने की तारीख से 10 साल बाद तक किसी दावा नहीं किया हो, उन्हें 'अनक्लेम्ड डिपॉजिट' (Unclaimed Deposit) माना जाता है. इन पैसों को RBI द्वारा बनाए गए 'डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयनेस फंड' में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
ऐसे किया जा सकता है क्लेम
जवाब में आगे कहा गया, एसबीआई ग्राहकों की सुविधा के लिए, मृत ग्राहकों के खाते के संबंध में कानूनी प्रतिनिधित्व के बिना दावों के निपटान का विवरण या प्रक्रिया, साथ ही आसानी से समझने के लिए अपडेटेड FAQ को एसबीआई की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है. एसबीआई शाखा में मृत ग्राहक के खातों के निपटान के लिए प्राप्त प्रत्येक आवेदन की विधिवत स्वीकार की जाती है. अगर दस्तावेज अधूरे हैं या क्रम में नहीं हैं या दावा खारिज कर दिया गया है, तो दावेदारों को सलाह के तहत, उसके कारणों के साथ विधिवत रूप से दर्ज किया गया है.
बैंकों में ग्राहक सेवा पर अपने मास्टर सर्कुलर द्वारा बैंकों को आरबीआई द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, बैंकों को उन खातों की वार्षिक समीक्षा करने की आवश्यकता है, जिनमें एक वर्ष से अधिक समय से कोई संचालन नहीं है, और वे ग्राहकों से संपर्क कर सकते हैं और सूचित कर सकते हैं. यह लिखते हुए कि उनके खातों में कोई परिचालन नहीं हुआ है और इसके कारणों का पता लगाएं.
जवाब में बताया गया कि बैंकों को यह भी सलाह दी गई है कि वे उन खातों के संबंध में ग्राहकों या कानूनी उत्तराधिकारियों के ठिकाने का पता लगाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू करने पर विचार करें, जो निष्क्रिय हो गए हैं, जहां दो साल की अवधि में खाते में कोई लेनदेन नहीं हुआ है.
इसके अलावा, बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे बगैर दावे वाली जमाराशियों और निष्क्रिय खातों की सूची अपनी संबंधित वेबसाइटों पर प्रदर्शित करें. जिसमें खातों के संबंध में खाताधारकों के नाम और पते शामिल हैं. बैंकों को आरबीआई द्वारा उन खाताधारकों के ठिकाने का पता लगाने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की सलाह दी गई है, जिनके खाते निष्क्रिय हैं.
अनक्लेम्ड राशि बचत खाता, चालू खाता, फिक्स्ड डिपॉजिट और रेकरिंग डिपॉजिट खाते में हो सकती है. किसी बैंक अकाउंट के निष्क्रिय होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे अकाउंट होल्डर द्वारा बैंक खाते को भूल जाना या खाताधारक की मौत हो जाना, परिवार वालों को मृतक के अकाउंट के बारे में जानकारी न होना, गलत पता या फिर खाते में नॉमिनी दर्ज न होना.
कैसे करें पता
अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स के बारे में जानकारी आमतौर पर बैंक वेबसाइट्स पर ही मिल जाती है. अकाउंट पैन कार्ड, जन्मतिथि, नाम और पते से यह जानकारी ली जा सकती है कि क्या अकाउंट होल्डर के खाते में अनक्लेम्ड राशि पड़ी है. बैंक सामान्य पूछताछ और जरूरी दस्तावेज लेकर निष्क्रिय अकाउंट में पड़ी राशि को ब्याज सहित लौटा देते हैं.
कैसे करें क्लेम?
खाताधारक बैंक से संपर्क करके जरूरी कागजात दोबारा जमा करवाकर बैंक खातें में पड़ी राशि निकलवा सकता है. अगर खाताधारक की मृत्यु हो गई है तो नॉमिनी आसानी से अनक्लेम्ड राशि पर दावा कर सकता है. नॉमिनी को खाताधारक का मृत्यु प्रमाण-पत्र देना होगा. साथ ही उसे अपने केवाईसी डॉक्यूमेंट भी देने होंगे. अगर जॉइन्ट अकाउंट है तो बैंक जिस अकाउंट होल्डर की मौत हो चुकी है, उसका नाम काट देगा और जीवित अकाउंट होल्डर को सारे अधिकार दे देगा.
अगर न हो नॉमिनी?
अगर किसी अकाउंट में नॉमिनी दर्ज नहीं है तो फिर अनक्लेम्ड खाते से पैसे निकलवाने के लिए जो व्यक्ति बैंक से संपर्क करेगा, उसे छोटी रकम की निकासी के लिए उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र और बड़ी रकम निकाले के लिए सक्सेशन सर्टिफिकेट बैंक में देना होगा. अगर अकाउंट होल्डर की कोई वसीयत है, तो उसकी भी जांच की जाएगी. आमतौर पर बैंक क्लेम दाखिल करने के 15 दिन के अंदर इसका निपटारा कर देता है.