मध्यप्रदेश

स्वास्थ्य विभाग की 300 करोड़ की खरीदी आई संदेह के घेरे में

भोपाल

स्वास्थ्य विभाग ने करीब दो माह पहले 300 करोड़ रुपए की खरीदी की है जिसकी प्रक्रिया और तौर तरीकों को लेकर विभाग के अफसरों की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। खरीदी प्रक्रिया में इस बात को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि खरीदी केंद्रीयकृत व्यवस्था के अंतर्गत जिलों से डिमांड बुलाए बगैर कर ली गई है।

अब जब इस मामले पर विभाग के जिम्मेदार अफसर घिरने लगे हैं तो उन्होंने गूगल शीट के जरिये सीएमएचओ और सिविल सर्जन से डिमांड बुलाकर कागजी दस्तावेज दुरुस्त करने का काम तेज कर दिया है। दूसरी तरफ अपनी बात को सही साबित करने के लिए विभाग ने हाल में एक आदेश जारी किया है जिसके अंतर्गत बड़े सामान व उपकरणों की खरीदी का अधिकार जिलों से छीन लिया गया है।

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सेंट्रल परचेजिंग में की गई खरीदी के इस खेल में करीब पांच हजार गद्दे (मैट्रेस) और 84 हजार बेडशीट्स, 13 हजार तकिये (पिलो) और तीन हजार पिलो कवर,कंबल व उसके कवर की सप्लाई कराई गई है। सामग्री खरीदने और भेजने की जल्दबाजी ऐसी रही कि यह भी नहीं देखा गया कि जिस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में यह सामग्री भेजी गई उस अस्पताल में कितने बेड उपलब्ध हैं? कई अस्पतालों में तकिया और कम्बल नहीं भेजे गए लेकिन तकिया कवर और कम्बल कवर भेज दिए गए और अब ये तकिया कवर कहां लगाएं, यह अस्पताल कर्मचारी समझ नहीं पा रहे। ऐसी ही स्थिति अन्य वस्तुओं की सप्लाई के मामले में भी सामने आई है।

  • स्वास्थ्य विभाग पर करप्शन के आरोपों के बाद विभाग ने सालों पहले खरीदी की विकेंद्रीकृत व्यवस्था के तहत एक कारपोरेशन का गठन किया जिसमें रेट तय करने के साथ खरीदी का अधिकार जिलों को दिया गया था। फिर ऐसी क्या वजह है कि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने जिले के सीएमएचओ के इस अधिकार पर अतिक्रमण कर लिया।
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  • यदि खरीदी भोपाल से ही होना था तो भी जिलों से सीएमएचओ कार्यालय से डिमांड बुलाई जाना थी जो नहीं बुलाई गई। स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों जिलों की डिमांड को नजरअंदाज कर मनमर्जी से जो सामान और उपकरण जिलों में भेजे क्या वास्तव में उसकी जरूरत वहां थी, इसे नहीं देखा गया।
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  • कोरोना काल में डीएमएफ और सीएसआर फंड से बड़ी मात्रा में गद्दे, कंबल, तकिये कवर और उपकरणों, पलंग और अन्य सामग्रियों की केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत बंपर खरीदी की गई, फिर कुछ महीनों बाद ही इस तरह की बिना मांग की खरीदी के पीछे क्या औचित्य है?
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  • जब स्वास्थ्य विभाग में खरीदी की केंद्रीयकृत व्यवस्था थी तो पूरा सामान सीएमएचओ दफ्तर के स्टोर में पार्क होता था , उसके बाद जिले सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा जाता था। इस बार सामान सीधा पीएचसी औरसीएचसी को भेजा गया। इसके लिए भोपाल में वेयरहाउस किराए पर लिए गए और उसका स्टाक भोपाल में किया गया।
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  • जो खरीदी की गई, उसके पेमेंट करने के लिए एक निश्चित अवधि दी गई। साथ ही जिलों से आॅनलाइन ही एनओसी जनरेट कराई गई। इसके लिए सप्लायर फर्मों को पेमेंट जल्दी हो, इसके लिए संभाग स्तर पर कर्मचारी तैनात किए गए और व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से पेमेंट होने की मानीटरिंग की गई।

मनमाने डिस्ट्रीब्यूशन के नमूने

संभागमैट्रेसब्लैंकेटबेडशीटतकियाब्लैंकेट  कवर तकिया  कवरकुल
उज्जैन62313021773321411350132 24491
इंदौर129615611884028962039129127922
जबलपुर1863246325213 31681931939 35577
सागर123135411930 24261319110319367
रीवा1198110510660 20261049 60416641
KhabarBhoomi Desk-1

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