नई दिल्ली
सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले मेडिकल, इंजीनियरिंग और चार्टर्ड अकाउंटेंट के छात्रों के मामले में मुआवजा तय करते हुए अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने तीनों को द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी (गजेटेड ऑफिसर) के वर्ग में रखा है और इनके परिवार को इसी हिसाब से मुआवजा पाने का हकदार माना है।
यह फैसला साकेत कोर्ट स्थित मोटर वाहन दुर्घटना पंचाट न्यायाधीश एन.के. कश्यप की अदालत ने सुनाया है। उन्होंने कहा कि मेडिकल, इंजीनियरिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे पेशों में उच्च रैंक से प्रवेश पाने वाले छात्र निश्चित तौर पर उर्तीण होने के बाद द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी के बराबर आय पाने के हकदार होते हैं। इन मामलों में देखा गया कि छात्र होनहार थे। उनकी शिक्षा उम्दा रही थी। सड़क दुर्घटना में मौत की वजह से उनके परिवारों ने अपने चिरागों को खो दिया। ऐसे में ये परिवार द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी के मूल वेतन के आधार पर मुआवजा पाने के हकदार हैं।
हाईकोर्ट ने भी लगाई मुहर : दिल्ली हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति जे आर मिड्ढा ने भी एक फैसले में कहा था कि मेडिकल, इंजीनियर व अन्य तकनीकी शिक्षा पा रहे छात्र की कमाई की क्षमता का आधार उनके द्वारा चुना गया पेशा और पूर्व का शिक्षा रिकॉर्ड होता है। अगर शिक्षा रिकॉर्ड बताता है कि वे योग्य छात्र हैं तो मुआवजा मृतकों की भविष्य की अर्जन क्षमता को ध्यान में रखते हुए तय करना अनिवार्य है। ऐसे छात्र की मौत पर राजपत्रित अधिकारी की मूल आय को आधार बनाकर मुआवजा तय किया जाना न्यायसंगत है।
केस-1 : चार्टर्ड अकाउंटेंट के छात्र 22 वर्षीय सुमित की 13 जून 2019 को रिंग रोड पर सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। उनके माता-पिता की ओर से वकील उपेंद्र सिंह ने अदालत में मुआवजा दावा दाखिल किया। अदालत ने छात्र के वर्तमान शिक्षा दस्तावेज, दसवीं और 12वीं के अंकपत्र देखने के बाद 80 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था।
केस-2 : मुज्जफरनगर के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र पुल्कित 21 जुलाई 2016 को दिल्ली अपने घर बाइस से लौट रहे थे। मेरठ के परतापुर के पास एक तेज रफ्तार कैंटर ने छात्र को कुचल दिया और उसकी मौके पर मौत हो गई। अदालत ने इस मामले में मय ब्याज 72 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
केस-3 : दिल्ली के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्र 19 वर्षीय प्रथम की 11 अप्रैल 2016 को सड़क दुर्घटना में हो गई थी। अदालत ने मृतक के शैक्षिणिक दस्तावेजों को देखते हुए माना कि वह घटना के समय भी एक द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी के समान योग्यता रखते थे। कोर्ट ने मय ब्याज 95 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश सुनाया।