छत्तीसगढ़रायपुर

बस्तर-सरगुजा संभाग और बिलासपुर के दो जिलों की सरकारी नौकरियों में 100% स्थानीय आरक्षण खत्म

रायपुर। आरक्षण मामले में छत्तीसगढ़ सरकार को अदालत ने एक और झटका दिया है। हाईकोर्ट ने बस्तर और सरगुजा संभाग के अलावा बिलासपुर संभाग के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और कोरबा जिलों की सरकारी नौकरियों में स्थानीय निवासियों को 100% आरक्षण देने वाली अधिसूचना को रद्द कर दिया है। यानी इन जिलों से यह व्यवस्था खत्म हो गई। अब सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों और कलेक्टरों-जिला पंचायत CEO को पत्र लिखकर उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने की हिदायत दी है।

राज्य सरकार ने 4 सितंबर 2019 को एक अधिसूचना जारी कर अनुसूचित क्षेत्रों के जिला संवर्ग के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्ती को केवल स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित कर दिया था। बाद में इसमें बिलासपुर संभाग के गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही और कोरबा जिलों को भी इसमें जोड़ लिया गया। पिछले साल यह फैसला हुआ कि बस्तर और सरगुजा संभाग का पूरा क्षेत्र ही अनुसूचित क्षेत्र में आता है। ऐसी स्थिति में इन दोनों संभाग के संभाग स्तरीय पदों पर भी स्थानीय निवासियों की भर्ती का प्रावधान रखा जाना उचित होगा। इसके बाद एक संशोधित अधिसूचना आई। इस फैसले का प्रभाव यह हुआ कि गृह विभाग, पुलिस, जेल और परिवहन विभाग से संबंधित पदों को छोड़कर शेष विभागों के जिला स्तरीय पदों पर भर्ती में स्थानीय लोगों का 100% आरक्षण हो गया।

इस आरक्षण के खिलाफ 141 व्यक्तियों ने अलग-अलग याचिकाएं बिलासपुर हाईकोर्ट में डाली थीं। नंद कुमार गुप्ता और 140 अन्य बनाम छत्तीसगढ़ सरकार के मामले में बिलासपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरूप कुमार गोस्वामी और न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया ने 12 मई 2022 को आदेश पारित किया। इस फैसले पर लंबी चुप्पी के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने शुक्रवार को पत्राचार जारी किया। सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने उच्च न्यायालय के फैसले की प्रति लगाते हुए विभागाध्यक्षों, संभाग आयुक्ताें, कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को एक पत्र जारी किया है। इसमें उच्च न्यायालय के फैसले के बाद की कानूनी स्थिति स्पष्ट की गई है।

इस पत्राचार में कहा गया है, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की ओर से पारित निर्णय दिनांक 12-5-2022 में बस्तर संभाग और सरगुजा संभाग के अंतर्गत आने वाले सभी जिलों और बिलासपुर संभाग के तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी की रिक्तियों को संभाग/जिलों के स्थानीय निवासियों से भरे जाने के संबंध में जारी अधिसूचनाओं को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के विपरीत होने की वजह से निरस्त किया गया है। मामले में पारित आदेश की छायाप्रति पालन और आवश्यक कार्यवाही के लिए प्रेषित है।

अपील की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं

अधिकारी अभी यह नहीं बता पा रहे हैं कि स्थानीय आरक्षण खत्म होने के फैसले पर सरकार ने कानूनी स्टैंड क्या लिया है। विधि विभाग में इसपर चुप्पी है। महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने बताया, इस मामले में क्या हुआ है यह कोर्ट खुलने के बाद ही बताया जा सकता है। दूसरे अधिवक्ताओं का कहना है कि सामान्य तौर पर किसी फैसले के खिलाफ 60 दिनाें के भीतर उच्चतम न्यायालय में अपील करना होता है। यहां तीन महीने बीत चुके हैं, अगर अब तक अपील नहीं हुई है तो बाद में दिक्कत हो सकती है।

khabarbhoomi

खबरभूमि एक प्रादेशिक न्यूज़ पोर्टल हैं, जहां आपको मिलती हैं राजनैतिक, मनोरंजन, खेल -जगत, व्यापार , अंर्राष्ट्रीय, छत्तीसगढ़ , मध्याप्रदेश एवं अन्य राज्यो की विश्वशनीय एवं सबसे प्रथम खबर ।

Show More

khabarbhoomi

खबरभूमि एक प्रादेशिक न्यूज़ पोर्टल हैं, जहां आपको मिलती हैं राजनैतिक, मनोरंजन, खेल -जगत, व्यापार , अंर्राष्ट्रीय, छत्तीसगढ़ , मध्याप्रदेश एवं अन्य राज्यो की विश्वशनीय एवं सबसे प्रथम खबर ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button