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रायपुर सहित देश के 500 शहरों में कैट ने कलेक्टर को सौंपा प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन

ईकॉमर्स कंपनी अमेजन के खिलाफ कैट का `हल्ला बोल`
रायपुर : कैट के आह्वान पर देश के 20 हज़ार से अधिक व्यापारिक संगठनों के व्यापारी नेताओं ने सभी राज्यों के 500 से अधिक ज़िलों ज़िला कलेक्टरों को प्रधानमंत्री के नाम दो ज्ञापन दिए.ज्ञापन में ई-कामर्स बने नियमों को तुरंत लागू करने की माँग की गई है। दूसरे ज्ञापन में अधिकारियों को अमेजन के वकीलों के ज़रिए दीं गई कथित रिश्वत के मामले की सीबीआई द्वारा किए जाने की माँग की गई। ज्ञातव्य है की ई कामर्स व्यापार में मची धांधली को लेकर कैट 15 सितम्बर से 15 अक्तूबर तक एक महीने का ई कामर्स पर हल्ला बोल राष्ट्रीय अभियान चला रहा है ।
इसी कड़ी में कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी व प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया कि आज कैट के रायपुर, अम्बिकापुर, मनेन्द्रगढ, बिलासपुर, रायगढ़, चांपा, कोरबा, भाटापारा, तिल्दा, दुर्ग, राजनांदगांव, भिलाई, धमतरी, कांकेर, सराईपाली, बसना, अभनपुर, महासंमुद, गरियाबंद सहित अन्य सभी ईकाइयों में ई-कॉमर्स नियमों को तुरंत लागू करने हेतु एवं अधिकारियों को अमेजन के वकीलों के ज़रिए दीं गई कथित रिश्वत के मामले की सीबीआई द्वारा किए जाने की माँग हेतु जिला कलेक्टर/एसडीएम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से ज्ञापन सौपा गया।
प्रधानमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन में कैट ने यह भी माँग की है की है कीं अमेजन के वकीलों के ज़रिये देश के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दिए जाने वाले मुद्दे पर अमेजन के वित्तीय दस्तावेज जो पिछले वर्षों में सरकारी विभागों को दिए गए हैं उनकी फ़ोरेंसिक ऑडिट कराया जाए जिससे जल्द से जल्द यह पता लग सके की क्या अमेजन के वकीलों के ज़रिए अधिकारियों एवं अन्य लोगों को रिश्वत दीं गई थी या नहीं और यदि रिश्वत देने का मामला साबित होता है तो ऐसे अधिकारियों एवं अन्य लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दीं जाए और उनके नाम भी सार्वजनिक किए जाएँ।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने यह भी कहा है की पिछले वर्षों में अमेजन ने जिस प्रकार से देश के सभी क़ानूनों और नियमों का खुला उल्लंघन किया है और जिस बड़े पैमाने पर धांधली की है वो बेहद गम्भीर और संगीन मामला है, इस दृष्टि से अब यह ज़रूरी हो गया है की अमेजन के व्यापार मॉडल की एक समग्र जाँच की जाए और सभी सम्बंधित विभाग एक साथ इसकी जाँच करे। इसके लिए उन्होंने माँग की है की इस हेतु आयकर विभाग, केंद्र के जींएसटी विभाग. सीसीआइ, प्रवर्तन निदेशालय, सेबी तथा मिनिस्ट्री ऑफ़ कारपोरेट अफेयर्स को एक साथ जाँच करनी चाहिए जिससे की सारा मामला साफ़ हो और फिर उस समग्र जाँच के हिसाब से कारवाई हो। उन्होंने कहा की सरकार को यह स्पष्ट करना पड़ेगा की क्या विदेशी कम्पनियों को देश के क़ानून और नियमों के उल्लंघन की इजाज़त दी जा सकती है या सरकार देश के नियम एवं क़ानूनों की सर्वोचता को क़ायम रखती है । निर्णय सरकार को लेना है । देश के व्यापारी बेसब्री से सरकार के निर्णय का इंतज़ार करेंगे
पारवानी एवं दोशी ने यह भी बताया कीं इस मामले की गम्भीरता को देखते हुए और इस सारे मामले पर विस्तारपूर्वक चर्चा करने के लिए कैट ने अपने राष्ट्रीय गवर्निंग काउन्सिल की एक आपात मीटिंग आगामी 30 सितम्बर एवं 1 अक्टूबर को वाराणसी में बुलाई है जिसमें देश के सभी राज्यों के चुनिंदा शीर्ष नेता भाग लेंगे और ई कामर्स पर सरकार द्वारा उठाए गए सभी कदमों की विवेचना कर भविष्य की रणनीति तय करेंगे । व्यापारी नेता इस मुद्दे पर भारत व्यापार बंद करने के निर्णय पर भी विचार कर सकते हैं।
कलेक्टर को ज्ञापन सौपते समय अमर पारवानी, जितेन्द्र दोशी, परमानन्द जैन, सुरिन्द्रर सिंह, विजय शर्मा, जय नानवानी, निलेश मुंदड़ा, प्रीतपाल सिंह बग्गा, नरेश पाटनी, महेश खिलोसिया, जयराम कुकरेजा, जितेन्द्र गोलछा, कान्ति पटेल, विजय जैन, अवनीत सिंह और अन्य व्यापारी उपस्थित थे।

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