छत्तीसगढ़रायपुर

बायोफ्लॉक व सेमी बायोफ्लॉक तकनीक से मत्स्य पालन विषय पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण


रायपुर : इंदिरा गांधी कृषि विवि के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र ने राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के वित्तीय सहयोग से ‘‘बायोफ्लॉक एवं सेमी बायोफ्लॉक तकनीक द्वारा मत्स्य पालन‘‘ विषय पर आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज शुभारंभ किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 21 से 25 सितम्बर तक किया जाएगा। कार्यक्रम का शुभारंभ डाॅ. डी. रविन्द्र महाप्रबंधक, नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यलय, रायपुर के मुख्य आतिथ्य में खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, रायपुर के सभाकक्ष में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. एस.सी. मुखर्जी ने की। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 45 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वांकाक्षी योजना ’’नरुआ गुरूवा घुरवा बाड़ी’’ के अंतर्गत इस तकनीक का समावेश किया जा सकता है क्योंकि बायोफ्लॉक एवं सेमि बायोफ्लॉक तकनीक के मध्यम से किसानों के बाड़ी में केवल 4 मीटर के व्यास में मछली पालन किया जा सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी. रविंद्र ने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा की कोरोना महामारी काल के दौरान केवल कृषि क्षेत्र ही निरंतर कार्यरत था। किसान अपने प्रक्षेत्रों में बायोफ्लाॅक एवं सेमी बायोफ्लाॅक तकनीक से मछली पालन कर अधिक आय अर्जित कर सकते हैं। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि मछली उत्पादन हेतु वे नाबार्ड की योजनाओं से भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाॅ. एस.सी. मुखर्जी ने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने बायोफ्लॉक एवं सेमी बायोफ्लॉक तकनीक से मत्सय पालन करने में देश में और देश के बहार सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्धन करना एक महत्वपूर्ण कार्य है और इस क्षेत्र में कृषि विज्ञान केन्द्र, रायपुर द्वारा किये जा रहे कार्याें की उन्होंने सराहना की। विदित हो की कृषि विज्ञान केन्द्र, रायपुर द्वारा पूर्व में भी इस प्रकार के 9 प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चूका है जिसमें देश के 13 राज्यों के साथ-साथ बांगलादेश, नेपाल एवं म्यांमार के कुल 325 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है और उनमें से कुछ प्रतिभागियों ने अपना स्व-रोजगार स्थापित कर लिया है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. सौगत सास्मल हैं। कार्यक्रम की रुपरेखा कृषि विज्ञान केन्द्र, रायपुर के प्रमुख डॉ. गौतम रॉय द्वारा प्रस्तुत की गयी।

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