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चाहे सुख या दुख भीतर की समता-समाधि बनी रहे : साध्वी शुभंकरा

ऋषभदेव जैन मंदिर सदर बाजार में जिनवाणी प्रवचन श्रृंखला
रायपुर : ऋषभदेव मंदिर सदरबाजार के आराधना हाॅल में कर्म मिमांशा सूत्र आधारित जिनवाणी प्रवचन श्रृंखला के अंतर्गत गुरूवार को साध्वीवर्या शुभंकरा महाराज साहब ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि कर्म मिमांशा सूत्र हमें यह कह रहा है कि जगत का कोई भी जीव ऐसा नहीं है जो सुख व शांतिप्रिय न हो। हम सभी सर्वदा सुख-शांति की ही आकांक्षा करते हैं। किन्तु शांति-शांति कह देने मात्र से या किसी का नाम शांति रख देने मात्र से शांति मिलने वाली नहीं है, शांति चाहिए तो अंतर्मन्त से प्रसन्नता व संतोष को धारण कर जीवन जीना होगा। समता भाव धारण कर अपने मन-मस्तिष्क को सदैव शांति बनाए रखना होगा। शांति कोई बाहर से मिलने वाली वस्तु नहीं है, यह भीतर से उद्घाटित होने वाली मनोभावना है।
साध्वीवर्या ने आगे कहा कि प्रसंग चाहे जैसा भी हो, माहौल चाहे जैसा भी हो, हमें हर हाल में अपनी शांति को बनाए रखना होगा। परिस्थितियां तो बदलती ही रहती हैं, जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं, किन्तु उन परिस्थितियों में समता-समाधि को बनाए रखना यही तो जीवन जीने की कला है। स्वयं को धर्म अनुरूप परिवर्तित करना अथवा अपनी प्रकृति को बदलना यह भी एक साधना ही है। यदि धर्म व जिनवाणी के अनुरूप हमारी जीवनचर्या होगी तो जीवन आनंदमय हो जाएगा, निराशा-अशांति का अहसास जीवन से पूर्णतः चला जाएगा। मन में शांति बनी रहेगी, मन किन्हीं विकल्पों में उलझेगा नहीं। पड़ोसी के पास सब कुछ है, मेरे पास तो है ही नहीं, यह सोच-सोच कर दुखी होना या ईष्र्या कर अशांत होना, ऐसा केवल इसी मनुष्य भव में होता है, त्रियंच प्राणियों में ऐसी ईष्र्या या मनोवृत्ति होती ही नहीं। हम विकल्पों से घिरे हुए होते हैं, इसीलिए अशांत रहते हैं। बनने या बिगड़ने का अवसर जीव को केवल इसी मानव भव में ही है। पूज्या साध्वी भगवंत ने कहा कि यदि भूतकाल दुःखदायी रहा है तो उस भूतकाल को याद कर-कर के वर्तमान में भी दुःखी होना यह कोई जीना नहीं है। वह पिछला जीवन था-भूतकाल था, अब मुझे वर्तमान को जीना है। महापुरूष वही बनते हैं जो वर्तमान में जीते हैं। इन मानव भव में ही हमारे पास समझ है, ज्ञानी-भगवंतों, संतों की वाणी का सुयोग है। जो भीतर से शांत होता है, चैन की नींद भी उसे ही आती है और स्वस्थ भी वही रहता है। जीवन के हर क्षेत्र में शांति ही शांति हो तो जीवन परम आनंद मय हो जाता है। चाहे सुख हो या दुख धर्म हमारे जीवन में कभी न छूटे। स्वयं को धर्म-ध्यान में लगाकर और जिनवाणी के संदेशों को आत्मस्थ व चरितार्थ कर हम इस जीवन को सजाएं-संवारें।
00 68 दिवसीय भव्य दरबार में नवकार महामंत्र का सामूहिक जाप जारी
जैन श्वेताम्बर चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विमलचंद मालू, गोलु कांकरिया व प्रचार-प्रसार प्रभारी तरूण कोचर ने बताया कि ऋषभदेव जैन मंदिर सदरबाजार के आराधना हाॅल में रात्रि 8 से 9 बजे तक 68 दिवसीय रजत जयंती वर्ष नवकार दरबार में नवकार महामंत्र का जाप एवं प्रातःकाल-सायंकाल आरती, मंगलदीपक का क्रम जारी है। नवकार दरबार में बुधवार के जाप के लाभार्थी हरीशचंद मनीष कुमार डागा रायपुर, कचरी देवी प्रवीण रूपेश गोलछा बिलासपुर एवं चम्पाबाई उमरसी शाह धमतरी। वहीं गुरूवार के जाप के लाभार्थी रहे- भोमराज खुशालचंद झाबक परिवार। चातुर्मास समिति के सचिव निलेश गोलछा, अभिषेक गोलछा ने बताया कि बुधवार की धर्मसभा में राजेश सुराना के पुत्र व माणकचंद सुराना के प्रपोत्र आदित्य सुराना ने साध्वी भगवंत से तीस उपवास के पारणे का प्रत्याख्यान ग्रहण किया। कल शुक्रवार को मां पद्मावति की आराधना के प्रत्यर्थ तप का एकासना महावीर भवन, सदरबाजार के प्रथम तल में प्रातः 11.30 से होगा। प्रतिदिन स्वाध्याय प्रातः 6 से 7 एवं अध्यात्मिक प्रवचन प्रातः 9 से 10 बजे तक जारी है।

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