
रायपुर : भारत का संविधान देश के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय दिलाने के साथ उन्हें प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा सभी में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया है। इसी दृष्टि से अस्पृश्यता निर्वारण के तहत छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अंतरर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन दिया जाता है। अंतरर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत दम्पत्तियों में से लड़का या लड़की किसी एक को अनुसूचित जाति संवर्ग का तथा दूसरे को गैर अनुसूचित संवर्ग का होना चाहिए। इस दृष्टि से इन दम्पत्तियों द्वारा उठाए गए आदर्श कदम के लिए उन्हें शासन द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जाता है। रायपुर जिले में पिछले तीन वर्षो में ऐसे 242 दम्पत्तियों को 4 करोड 83 लाख रूपये की सम्मान एवं पुरस्कार राशि प्रदाय की गई हैं। योजना के तहत दम्पत्तियों को ढाई लाख की राशि प्रदाय की जाती है। इसमें से एक लाख रूपये की राशि दम्पत्ति के संयुक्त बैंक खाते में एन.ई.एफ.टी के माध्यम से जमा कराई जाती है। शेष डेढ लाख रूपये की राशि दम्पत्ति के संयुक्त नाम एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास के पदनाम सेे संयुक्त रूप से राष्ट्रीयकृत बैंक में तीन वर्ष के लिए फिक्स डिपोजित कराई जाती है। योजना के तहत आवेदक या आवेदिका को छत्तीसगढ़ राज्य का मूल निवासी होना अनिवार्य है। रायपुर जिले में वर्ष 2018-19 में अंतरर्जातीय विवाह करने वाले 48 दम्पत्तियों को 23 लाख रूपये, वर्ष 2019-20 में 59 दम्पत्तियों को 1 करोड़ 47 लाख रूपयेे तथा वर्ष 2020-21 में 135 दम्पत्तियों को 3 करोड़ 12 लाख रूपये की सम्मान एवं पुरस्कार राशि प्रदाय की गई है। योजना के तहत वर्ष 2019 में संशोधन किया गया है और इसके तहत दम्पतियों को मिलने वाली राशि 50 हजार रूपये को बढाकर ढाई लाख रूपये किया गया है। योजना का संचालन राज्य शासन के आदिवासी विकास विभाग द्वारा किया जाता है। इस योजना का लाभ लेने के लिए ऐसे अंतरर्जातीय विवाह करने वाले दम्पत्तियों को विभाग के जिला या विकासखंड कार्यालय में विधिवत प्रपत्र में आवेदन करना होता है। ऐसे विवाह समतामूलक और समरस समाज की स्थापना में प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं।